ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
रक्षाबंधन का त्योहार कल, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्‍व
By Deshwani | Publish Date: 25/8/2018 9:39:40 AM
रक्षाबंधन का त्योहार कल, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्‍व

नई दिल्ली। भाई-बहनों के लिए रक्षाबंधन का त्योहार बेहद ही खास होता है। हिंदू ग्रंथों के अनुसार यह पर्व सावन महिना की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का पौराणिक महत्व भी है। इस बार यह पर्व कल 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार रक्षा बंधन का त्यौहार न केवल भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की गहराई को दर्शाता है बल्कि सम्पूर्ण समाज को एकता के सूत्र में बंधने का भी संदेश देता है। रक्षाबंधन के त्योहार की उत्पत्ति धार्मिक कारणों से मानी जाती है जिसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथों और कथाओं में मिलता है। इस कारण पौराणिक काल से इस त्योहार को मनाने की यह परंपरा निरंतरता में चलती आ रही है।

इस त्योहार की कथाएं भी अनेक प्रकार से उल्लेखित किया गया है। राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप मैं अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है। इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ आरंभ करते हैं इसलिए इस दिन शिक्षा का आरंभ करना अच्छा माना जाता है।

चूंकि देवराज इंद्र ने रक्षासूत्र के दम पर ही असुरों को पराजित किया, चूंकि रक्षासूत्र के कारण ही माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को राजा बलि के बंधन से मुक्त करवाया, महाभारत काल की भी कुछ कहानियों का उल्लेख रक्षाबंधन पर किया जाता है अत: इसका त्योहार को हिंदू धर्म की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

श्रावण पूर्णिमा यानि रक्षाबंधन के दिन ही प्राचीन समय में ऋषि-मुनि अपने शिष्यों का उपाकर्म कराकर उन्हें विद्या-अध्ययन कराना प्रारंभ करते थे। उपाकर्म के दौरान पंचगव्य का पान करवाया जाता है तथा हवन किया जाता है।

उपाकर्म संस्कार के बाद जब जातक घर लौटते हैं तो बहनें उनका स्वागत करती हैं और उनके दांएं हाथ पर राखी बांधती हैं। इसलिये भी इसका धार्मिक महत्व माना जाता है।

इसके अलावा इस दिन सूर्य देव को जल चढाकर सूर्य की स्तुति एवं अरुंधती सहित सप्त ऋषियों की पूजा भी की जाती है इसमें दही-सत्तू की आहुतियां दी जाती हैं। इस पूरी क्रिया को उत्सर्ज कहा जाता है।

कैसे मनाएं रक्षाबंधन का त्योहार

- थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र और मिठाई रखें।  

- घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें।

- रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें।

- इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं।

- पहले भाई को तिलक लगाएं, फिर रक्षा सूत्र बांधें और फिर आरती करें।

- इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें।

- रक्षासूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए।

- रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें, इसके बाद बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें।

- उपहार मैं ऐसी वस्तुएं दें, जो दोनों के लिए मंगलकारी हो, काले वस्त्र तथा तीखा या नमकीन खाद्य न दें।

रक्षासूत्र के बारे में जानें

- रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए।

- लाल पीला और सफेद।

- अन्यथा लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए।

- रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो बेहद शुभ होगा।

- कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं।

इस बार रक्षाबंधन का मुहूर्त: इस बार 26 अगस्त को भद्रा नहीं रहेगी। रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को सुबह 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2 से 4 तक रहेगा।

सूर्योदय से तिथि मानने के कारण रात में भी राखी बांधी जा सकेगी।

 

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS