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संस्थान की आलोचना करना आसान काम, सुधार मुश्किल: चीफ जस्टिस
By Deshwani | Publish Date: 15/8/2018 4:56:45 PM
संस्थान की आलोचना करना आसान काम, सुधार मुश्किल: चीफ जस्टिस

नई दिल्ली। भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में तिरंगा फहराया। इस दौरान उन्होंने अपने उपर लगे आरोपों पर सात माह बाद चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि किसी भी संस्थान की आलोचना करना या नष्ट करने की कोशिश करना आसान है। लेकिन संस्थान को अपनी निजी आकांक्षाओं को दूर रखकर आगे बढ़ाना मुश्किल काम है। हालांकि जस्टिस ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन माना जा रहा है कि यी नसीहत उन जजों को दी गई है जिन्होंने उच्चतम न्यायालय के क्रियाकलापों पर सवाल उठाए थे। 

दीपक मिश्रा ने कहा कि ज्यूडिशियरी की आलोचना करना, उस पर कमेंट करना और सिस्टम को बर्बाद करना आसान है। मुश्किल है तो बेहतर प्रदर्शन के लिए सिस्टम को सही दिशा में बदलना और उसे बरकरार रखना। उन्होंने कहा कि मैं कानून मंत्री की बातों से सहमत नहीं हू्ं जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी उन्होंने आपकी प्रशंसा के लिए ये नहीं किया, वो अपने देश और अधिकारों के लिए लड़े। 

चीफ जस्टिस ने गोखले, तिलक के बाद महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि उनका सबसे बड़ा योगदान ये है कि उन्होंने भारतीयों के दिमाग से डर हटा दिया। गुलामी की भावना हटा दी। कुछ ताकतें संस्था को कमज़ोर करने की कोशिश करती हैं, हम सब मिल कर ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि आज जश्न का मौका है इसलिए इसे मनाया जाए और तय किया जाए कि हम कभी न्याय की देवी की आंखों में आंसू नहीं आने देंगे। 

बता दें कि भारत के इतिहास में पहली बार हुआ था जब देश की सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की थी और देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थीं इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंगन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा था कि इस संस्थान को बचाने के लिए इस देश से आग्रह करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं रह गया। 

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