पाकुड़। झारखंड के पाकुड़ जिले में स्वामी अग्निवेश की भाजपा युवा मोरचा के कार्यकर्ताओं ने पिटाई कर दी है। घटना तब हुई जब भाजपा कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के दौरे का विरोध कर रहे थे और ‘अग्निवेश गो बैक’ के नारे लगा रहे थे। विरोध प्रदर्शन और काला झंड़ा दिखाने से शुरू हुआ मामला हाथापाई तक पहुंच गया और भाजपा कार्यकर्ताओं ने स्वामी अग्निवेश की पिटाई कर दी।
भाजपा युवा मोरचा के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि अग्निवेश यहां आदिवासियों और ईसाई मिशनरियों को भड़काने आये हैं। अग्निवेश पर कार्यकर्ताओं ने ईशाई मिशनरी के इशारे पर काम करने का भी आरोप लगाया है। प्रदर्शन के दौरान ‘स्वामी अग्निवेश होश में आओ’ के नारे लगे। जानकारी के अनुसार स्वामी अग्निवेश के साथ मौजूद लोगों से भी हाथापाई की गयी।
स्वामी अग्निवेश झारखंड की राजनीतिक स्थिति पर टिप्पणी करते रहे हैं हाल में ही उन्होंने, सरकार की नीतियों को आदिवासी हित के कानूनों को बदलने की साजिश करार दिया था। सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के सदस्य जॉनसन मसीह टूटी व अन्य ने खूंटी डीसी सूरज कुमार को उनके कार्यालय में 'अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संवैधानिक प्रावधान व अन्य कानूनों की जरूरत बनाम शांति व स्वच्छ प्रशासन' के विषय पर ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया है कि सरकार आदिवासी हित के कानूनों को बदलने की साजिश कर रही है।
संविधान के भाग 10 के अनुच्छेद 244(1) के तहत पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का अनुपालन किया जाना है़ यह अनुसूची, अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन व नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों की अलग अलग भूमिकाओं व जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है।
अनुसूचित क्षेत्रों की सारी समस्याएं राज्य की कार्यपालिका व विधायिका की अनुसूचित क्षेत्रों के विधायिका क्षेत्र में घुसपैठ करने से शुरू होती है। सामान्य क्षेत्र के नियम व कानूनों को अनुसूचित क्षेत्रों पर थोपने की प्रक्रिया पर इसका अंत होता है। यह दुखद है कि अनुसूचित क्षेत्र से संबंधित राज्यपाल के विशेष अधिकार क्षेत्र पर राज्य सरकार की कार्यपालिका का हस्तक्षेप स्पष्ट दिखता है।
विगत तीन साल में राज्य सरकार ने सीएनटी व एसपीटी कानून (जो आदिवासियों की आर्थिक रीढ़ के कानून हैं) से छेड़छाड़ शुरू किया है. यह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बहर की बात है। गैर संवैधानिक तरीके से भूमि- बैंक स्थापित किया गया है व लगभग 20.56 लाख एकड़ जमीन चिह्नित की गयी है, जो मोमेंटम झारखंड के तीन लाख, 55 हजार करोड़ रुपये के 210 एमओयू द्वारा विभिन्न कंपनियों को आवंटित किये जायेंगे़ इससे लोगों में तीव्र आक्रोश है और पत्थलगड़ी उनके इस आक्रोश का स्मारक है।