मॉनसून सत्र: तीन तलाक व अन्य विधेयकों को पारित कराने में सरकार ने विपक्ष से मांगा सहयोग
नई दिल्ली। संसद का मॉनसून सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। जहां सरकार सत्र को सुचारू रूप से चलाने और सत्र में हंगामे की आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने विपक्षी दलों से तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सहयोग मांगा है। वहीं कांग्रेस ने मानसून सत्र की रणनीति तैयार करने के लिए विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में वे बुधवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र के लिए अपनी रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे। वहीं टीडीपी ने 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। बजट सत्र में ये प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया था। इसको लेकर आज टीडीपी के सांसद डीएमके, एआईडीएमके और जेडीएस के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
तीन तलाक विधेयक, अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक, मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा विधेयक, आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा को हटाने संबंधी संशोधन विधेयक 2017, दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2017, जन प्रतिनिधि संशोधन विधेयक 2017, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट विधेयक, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2018, भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक 2018।
माॅनसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण विषय राज्यसभा के उप सभापति के चुनाव से संबंधित भी है। साथ ही, वित्त वर्ष 2018-19 के अनुदान की अनुपूरक मांग के पहले बैच व संबंधित विनियोग विधेयक को चर्चा, मतदान व पारित होने के लिए पेश किया जा सकता है। सत्र के दौरान विपक्ष जम्मू कश्मीर की स्थिति, पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने व आतंकवाद जैसे मुद्दे उठा सकता है। किसान, दलित उत्पीड़न, राम मंदिर, डाॅलर के मुकाबले रुपये के दर में गिरावट, पेट्रो पदार्थों की कीमतों में वृद्धि जैसे मसलों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयास करेगा।