राष्ट्रीय
महबूबा के विवादित बयान की चौतरफा निंदा
By Deshwani | Publish Date: 14/7/2018 11:02:47 AMनई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कल बेहद विवादास्पद बयान दिया है, जिसके बाद सियासत गर्मा गई है। राष्ट्रविरोधी इस बयान को दिल्ली पर दबाव बनाने की राजनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। महबूबा के इस बयान के बाद उनकी सियासत पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के सहयोग से करीब तीन साल सरकार चलाने के बाद हाल ही में सत्ता गंवा चुकी राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती अपने हालिया बयान के बाद तमाम राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं। पीडीपी को तोड़ने के कश्मीर में ख़तरनाक परिणाम वाले बयान पर महबूबा चारों तरफ से घिर गई हैं। लगभग सभी राजनीतिक दलों ने महबूबा के बयान की कड़ी निंदा की है। बीजेपी ने जहां पीडीपी के आरोपों को सिरे से ख़ारिज किया है, वहीं उनकी धमकी को आतंकवादियों को ऑक्सीजन देने वाला बताया है।
मुफ्ती के बयान पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि किसी पार्टी के टूटने से कोई नया आंतकी नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, 'मैं आपको साफ तौर पर यह याद दिलाना चाहता हूं कि पीडीपी के टूटने से कोई नया आतंकी नहीं बनेगा। लोग उस पार्टी के अंत पर शोक नहीं मनाएंगे, जिसका निर्माण दिल्ली में कश्मीरियों के मतों को बांटने के लिए हुआ था। कांग्रेस के साथ ही कई और राजनीतिक दलों ने भी महबूबा के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि राज्य में सरकार गिरने के बाद अब महबूबा मुफ्ती के सामने अपनी पार्टी पीडीपी को बचाने का संकट है। पीडीपी में बगावत के गंभीर संकेत मिल रहे हैं और महबूबा ने बगावती नेताओं पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। लेकिन अपनी पार्टी को बचाने के चक्कर में महबूबा ने कल चेतावनी दी थी कि अगर पीडीपी को तोड़ने की कोशिश की तो खतरनाक हालात पैदा होंगे।
महबूबा जिस सैयद सलाउद्दीन का नाम लेकर धमकी दे रही हैं वो फिलहाल आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का चीफ है और पाकिस्तान में बैठ भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। वहीं यासीन मलिक कश्मीर के बड़े अलगाववादी नेताओं में से एक है। जाहिर है कुछ दिनों पहले तक संविधान की शपथ लेकर मुख्यमंत्री के रूप में राज्य पर शासन कर रही महबूबा मुफ्ती पर आतंकवाद और अलगवावाद के सफाए की जिम्मेदारी थी, वही अब ऐसे आतंकवादियों और अलगवावादियों के उभार की धमकी दे रही हैं जो उनकी सियासत को शोभा नहीं देता है।