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देश के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में जियो इंस्टीट्यूट भी शामिल
By Deshwani | Publish Date: 10/7/2018 10:32:29 AM
देश के उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों में जियो इंस्टीट्यूट भी शामिल

नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छह विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की। देश के बीस उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने में जुटी सरकार ने पहली खेप में आइआइटी दिल्ली, आइआइटी मुंबई व बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आइआइएससी) सहित देश के छह उच्च शिक्षण संस्थानों को इसके योग्य पाया है। इनमें निजी क्षेत्र के रिलायंस फाउंडेशन का जियो इंस्टीट्यूट, मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन और बिट्स पिलानी भी शामिल है। सरकार ने लंबी चयन प्रक्रिया के बीच इन संस्थानों के चयन को अंतिम रूप दिया है। संभावित नए संस्थानों की श्रेणी के तहत जियो इंस्टीट्यूट को चयनित किया गया है।


सरकार ने बाकी बचे 14 संस्थानों के नामों की भी जल्द घोषणा करने के संकेत दिए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को ट्वीट कर उत्कृष्ट संस्थानों के चयन की यह जानकारी दी। साथ ही उम्मीद जताई कि इस पहल से आने वाले दिनों में उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में देश में 800 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं। लेकिन इनमें से विश्व स्तरीय रैकिंग में टाप 100 और 200 में एक-दो संस्थान ही आते है। ऐसे में नई पहल से विश्वस्तरीय रैकिंग में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ेगी।


उन्होंने कहा कि इससे इन संस्थानों के स्तर एवं गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा। इसके अलावा विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की दिशा में जो कुछ भी जरूरी होगा, किया जा सकेगा। जावड़ेकर ने कहा कि रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिये टिकाऊ योजना, सम्पूर्ण स्वतंत्रता और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को सार्वजनिक वित्त पोषण की जरूरत होती है। ‘मोदी सरकार की प्रतिबद्धता हस्तक्षेप नहीं करने और संस्थानों को अपने अनुरूप आगे बढ़ने की अनुमति प्रदान करने की है।


उन्होंने कहा कि इस दिशा में नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से एक और मील का पत्थर स्थापित करने वाली गुणवत्तापूर्ण पहल की गई। विशेषज्ञ समिति की ओर से उत्कृष्ट संस्थानों का चयन किया गया है और आज हम छह विश्वविद्यालयों की सूची जारी कर रहे हैं जिसमें 3 सार्वजनिक क्षेत्र के और 3 निजी क्षेत्र के संस्थान शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह इस दिशा में मील का पत्थर निर्णय है क्योंकि इसके बारे न तो सोचा गया था और न ही प्रयास किया गया था। यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से कहीं आगे की चीज है और वास्तव में संस्थानों की पूर्ण स्वायत्तता जैसा है। 

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