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सैमसंग के जरिए भारत ने चीन को दी पटखनी, अमेरिका को भी छोड़ा पीछे
By Deshwani | Publish Date: 9/7/2018 6:49:53 PM
सैमसंग के जरिए भारत ने चीन को दी पटखनी, अमेरिका को भी छोड़ा पीछे

 नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत में विश्व की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री की स्थापना की है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में इस कंपनी को स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन ने साथ में सैमसंग के इस संयंत्र का उद्धाटन किया। नोएडा के सेक्टर-81 में स्थित यह यूनिट करीब 5 हजार करोड़ के निवेश से तैयार हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले कुछ साल में भारत में 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है, जिससे करीब चार से पांच लाख रोजगार पैदा होंगे।

 
‘मेक इन इंडिया’ के तहत यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पीएम मोदी ने वर्ष 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ की शुरूआत की थी। उस समय भारत में मोबाइल कंपनियों का बाजार करीब 19 हजार करोड़ रुपये का था, लेकिन इस पहल के बाद महज दो साल में मोबाइल बाजार में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई। 2016-17 में यह बाजार करीब 90 हजार करोड़ तक पहुंच गया था। मेक इन इंडिया की घोषणा के बाद से ही करीब 40 मोबाइल कंपनियों ने अपना प्लांट भारत में स्थापित किया है। अब यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है।
 
सैमसंग की नई फैक्ट्री में हर साल 12 करोड़ से ज्यादा मोबाइल तैयार करने का दावा किया जा रहा है। फिलहाल नोएडा और तमिलनाडु की फैक्ट्री से सैमसंग के 6.7 करोड़ मोबाइल का उत्पादन होता है। नोएडा की यह फैक्ट्री 1997 में शुरू हुई थी और 2005 में यहां मोबाइल का उत्पादन शुरू हुआ था। साल 2012 में एस सीरीज का फ्लैगशिप स्मार्टफोन एस3 लॉन्च हुआ जो नोएडा की फैक्ट्री में ही तैयार हुआ था।
 
इन सबके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सैमसंग ने चीन और अमेरिका जैसे संपन्न देशों को छोड़कर इतनी बड़ी मोबाइल फैक्ट्री भारत में ही लगाने का फैसला क्यों किया, जबकि चीन तो दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग हब है। चीन में सस्ते से सस्ता और अच्छे से अच्छा मोबाइल बनता है और इसी के आधार पर यह दुनिया का सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बना है।
 
बता दें भारतीय मोबाइल बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए सैमसंग इन दिनों हरसंभव कोशिश कर रही है। इसी रणनीति के तहत नोएडा में नए संयंत्र का निर्माण किया है। इस संयंत्र के निर्माण के समय बताया गया था कि उक्त संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 12 करोड़ मोबाइल फोन होगी। इससे वह भारतीय मोबाइल बाजार में एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत कर सकेगी।
 
सैमसंग ने दुनिया के कई बड़े देशों को छोड़कर भारत में ही अपनी सबसे बड़ी फैक्ट्री लगाने की क्यों सोची, यह सबसे बड़ा सवाल है। इसके कई कारण हैं। एक तो यहां मोबाइल कंपनियों को एक अपनी फैक्ट्री लगाने में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती, जबकि दूसरे देशों में इन कंपनियों को कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है और दूसरा ये कि वहां टैक्स की भी अधिकता होती है। श्रम लागत भी ज्यादा होती है और भारत की अपेक्षा वहां मोबाइल बाजार भी बहुत छोटा है।
 
भारत में मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों के ले इसलिए फायदेमंद होता है क्योंकि भारत में एक बड़ा घरेलू बाजार है। इसलिए वैश्विक निर्माता यहां जोखिम लेने के लिए भी तैयार रहते हैं। दूसरे देशों की अपेक्षा भारत उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यही कारण है कि कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी मैन्यूफैक्चरिंग इकाई भारत में खोली हैं।
 
इलेक्ट्रॉनिक्स दुनिया की दिग्गज कंपनी एलजी के प्रबंध निदेशकर किम की वान का कहना है कि हमने महसूस किया है कि भारत में निवेश करने का यह सही समय है। यहां स्मार्टफोन्स की मांग तेजी से बढ़ रही है।
 
लावा मोबाइल फोन कंपनी के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन हरिओम राय का कहना है कि दुनिया का सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब चीन में इंजीनियरिंग और श्रम की लागत लगातार बढ़ रही है और खपत भी कम है। जिसकी वजह से वहां फैक्ट्रियां खोलना अब आसान नहीं रह गया है, जबकि इसके उलट भारत इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां श्रम लागत बहुत ही कम है। खपत ज्यादा है और यहां प्रतिभावान सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की संख्या भी भारी मात्रा है, जो कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद है।
 
इन सबके अलावा भारत में व्यवसाय करना बेहद आसान है। बुनियादी ढांचा तेजी से बढ़ रहा है, जीएसटी के तहत लाभकारी नीतियां हैं और इनकम टैक्स बहुत ही कम है। यहां से मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों में उत्पादों का निर्यात भी काफी सुगम है। यही वो कारण हैं, जिनकी वजह से मोबाइल कंपनियों ने भारत में निवेश करना शूरू किया है और आज भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बन चुका है।
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