राष्ट्रीय
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद: मामले को लटकाना चाहता है मुस्लिम पक्षकार : यूपी सरकार
By Deshwani | Publish Date: 7/7/2018 12:03:19 PMनई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुनवाई को दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कल सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुस्लिम पक्षकार राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले को टालने की कोशिश कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने दलील दी कि जिस मुद्दे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में तरजीह नहीं दी उसे सुप्रीम कोर्ट में बेवजह तूल दिया जा रहा है।
यूपी सरकार ने कहा कि 1994 में इस्माइल फारुखी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला दिया था। जिसमें पैरा 82 में लिखा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच को जब अयोध्या का मूल विवाद सुनना था तो बात फैसले के इसी पैरा पर अटकी और तय हुआ कि पहले सुनवाई इस पर ही हो जाए। लिहाजा अदालत ये तय करेगी कि इस्माइल फारुखी वाले मामले के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। इस बेंच का फैसला अगर हां में होगा तो सात या उससे ज्यादा जजों की संविधान पीठ बनेगी और वो फैसला करेगी। फैसला अगर नहीं में आया तो फिर मूल भूमि विवाद पर बहस होगी।
1994 में आया ये फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए फिलहाल तो कांटा बना बैठा है। कल जब चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई करने बैठी तो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने फिर दोहराया कि इस्लाम सामूहिकता का मजहब है। वैसे तो नमाज कहीं भी अदा की जा सकती है लेकिन जब सामूहिक नमाज होती है तो मस्जिद में पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस्लाम की शुरुआत से ही यह परंपरा है।
इस पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से डशिनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर कोर्ट में बहस हो रही है। अब जब अयोध्या विवाद में सभी दस्तावेज तैयार हो गए, अनुवाद का काम पूरा हो गया तो इस बात की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि मुस्लिम पक्ष इसे और लटकाना चाहता है।