राष्ट्रीय
चीफ जस्टिस ही ''मास्टर ऑफ रोस्टर'' : सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 6/7/2018 12:37:36 PMनई दिल्ली। सीजेआई के पीठ गठन के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि देश के मुख्य न्यायाधीश ही ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’हैं। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की याचिका का निपटारा करते हुए आज कहा कि शीर्ष अदालत में मुकदमों के आवंटन (रोस्टर) के लिए मुख्य न्यायाधीश ही अधिकृत हैं।
कोर्ट ने कहा कि केसों के आवंटन में सीजेआई का मतलब कोलेजियम नहीं बल्कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया है और वरिष्ठता की वजह से उन्हें यह अधिकार हासिल है। पीठ ने कहा कि हम जवाबदेही के ज़माने में रह रहे हैं, तकनीक के वक्त में कोई भी आउटकम आलोचना में बदल सकता है, दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामेंटल नहीं बदलेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि कई कारणों की वजह से न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास डगमगाया है, इसे दोबारा बहाल करने की जरूरत है।
बता दें कि सीनियर वकील शांति भूषण की ओर से याचिका दायर कर कहा गया कि केसों का आवंटन कॉलिजियम को करना चाहिए। वहीं अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ही मास्टर ऑफ रोस्टर हैं। अगर कई जजों द्वारा मिलकर रोस्टर तय किया जाएगा, तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका को एग्जामिन करने का फैसला किया था। इसमें पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने चीफ जस्टिस द्वारा केसों के आवंटन किए जाने के मौजूदा सिस्टम पर सवाल उठाया था।