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दिल्ली का कोई बॉस नहीं, सीएम और एलजी मिलकर करें काम: सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 4/7/2018 11:27:33 AM
दिल्ली का कोई बॉस नहीं, सीएम और एलजी मिलकर करें काम: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट सुनवाई करते हुए कहा कि संविधान का पालन सबकी ड्यूटी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि संसद द्वारा बनाया गया कानून सबके लिए है और यह कानून सबसे ऊपर है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के प्रशासक उपराज्यपाल हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि एलजी कैबिनेट की सलाह पर काम करें। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते हों। कोर्ट ने कहा कि हर मामले में एलजी की सहमति की जरूरी नहीं है। वहीं दिल्ली सरकार को कोर्ट ने कहा कि वे हर मामले और काम की जानकारी उपराज्यपाल को दें। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जनता द्वारा चुनी गई सरकार के पास असली ताकत होती है।

बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने संबंधी दिल्ली हाईकोर्ट के अगस्त 2016 के फैसले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को इन अपीलों पर सुनवाई शुरू की थी जो छह दिसंबर , 2017 को पूरी हुई थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी , न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर , न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं। आम आदमी पार्टी सरकार ने संविधान पीठ के समक्ष दलील दी थी कि उसके पास विधायी और कार्यपालिका दोनों के ही अधिकार हैं। उसने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास कोई भी कानून बनाने की विधायी शक्ति है जबकि बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिए उसके पास कार्यपालिका के अधिकार हैं। 
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