ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाट
राष्ट्रीय
दिल्ली का असली बॉस कौन, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगी फैसला
By Deshwani | Publish Date: 3/7/2018 8:21:46 PM
दिल्ली का असली बॉस कौन, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगी फैसला

 नई दिल्ली। राष्‍ट्रीय राजधानी के अधिकार को लेकर केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच चल रही जंग पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला सुनाएगी। संविधान पीठ तय करेगी कि दिल्ली का असली बॉस कौन है। इसके फैसला लेने की प्राथमिकता किसके पास है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका में दिल्ली की चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार स्पष्ट करने का आग्रह किया गया था।

 
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में एलजी को ऐडमिनिस्ट्रेटिव हेड बताया है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। दिल्ली सरकार की याचिकाओं पर सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने पिछले साल 2 नवंबर से सुनवाई शुरू की थी। महज 15 सुनवाई में पूरे मामले को सुनने के बाद 6 दिसंबर, 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि मामला महत्वपूर्ण संवैधानिक व कानूनी पहलू से जुड़ा हुआ है, जिसे संवैधानिक बेंच एग्जामिन करेगी। 
 
आप सरकार की ओर से पी चिदंबरम, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन और इंदिरा जयसिंह जैसे नामी वकीलों ने दलीलें रखीं। एक सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि चुनी हुई सरकार के पास कुछ शक्तियां होनी चाहिए नहीं तो वह काम नहीं कर पाएगी। वहीं, केंद्र और उपराज्यपाल की ओर से दलील दी गई थी कि दिल्ली एक राज्य नहीं है, इसलिए उपराज्यपाल को यहां विशेष अधिकार मिले हैं। दिल्ली सरकार का आरोप था कि उपराज्यपाल चुनी हुई सरकार को कोई काम नहीं करने देते और हर एक फाइल व सरकार के प्रत्येक निर्णय को रोक लेते हैं। 
 
गौरतलब है कि फरवरी, 2015 में दूसरी बार सत्ता के आने के बाद से आप सरकार उपराज्यपाल के साथ अधिकारों की लड़ाई में उलझी है। पहले तत्कालीन एलजी नजीब जंग के द्वारा नियुक्तियां रद्द करने पर केजरीवाल ने उन्हें केंद्र सरकार का एजेंट बताया। इसके बाद उन्होंने जंग की तुलना तानाशाह हिटलर तक से की। दिसंबर, 2016 में अनिल बैजल के एलजी बनने के बाद से अब तक अधिकारों की लड़ाई जारी है। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के बाद अधिकारियों की हड़ताल और घर-घर राशन वितरण की योजना की मंजूरी नहीं देने पर विवाद रहा। पिछले दिनों केजरीवाल ने 3 मंत्रियों के साथ 9 दिन तक उपराज्यपाल सचिवालय में धरना और भूख हड़ताल की थी।
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS