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अमरीका से नहीं डरा भारत, रूस से एस-400 की करेगा डील
By Deshwani | Publish Date: 1/7/2018 11:06:22 AM
अमरीका से नहीं डरा भारत, रूस से एस-400 की करेगा डील

नई दिल्ली। अमरीका से प्रतिबंध के खतरे की आशंकाओं के बावजूद  भारत रूस से  एस-400  मिसाइल सिस्टम की डील करने की ओर कदम बढ़ा रहा  है। भारत का रक्षा मंत्रालय  लगभग 39 हजार करोड़ रुपए के इस सौदे की राह की अड़चनें दूर करने में लगा है।  शीर्ष सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतरमण की अध्यक्षता वाले रक्षा खरीद परिषद  ने गुरुवार को इस सौदे से संबंधित 'मामूली परिवर्तनों' को अनुमति दे दी। हाल में ही रूस के साथ संपन्न हुए व्यवसायिक बातचीत के दौरान ये मामूली परिवर्तन सामने आए थे। 

 
एक शीर्ष सूत्र ने कहा, 'एस-400 की खरीद का मामला अब मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व अब इस मामले पर अंतिम फैसला लेगा। डीएसी की बैठक बुधवार को अमरीका ने पहली 'टू-प्लस-टू' बैठक रद्द करने के एक दिन बाद हुई। यह बैठक भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण व उनके समकक्ष माइक पॉम्पियो और जिम मैटिस के बीच 6 जुलाई को वॉशिंगटन में होनी थी।
 
अक्तूबर 2015 में मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम हासिल करने की योजना बना रहा है। यह सिस्टम दुश्मन के रणनीतिक जहाजों, जासूसी हवाई जहाजों, मिसाइलों और ड्रोनों को 400 किलोमीटर तक की रेंज और हवा से 30 किलोमीटर ऊपर ही नष्ट कर सकता है। इसे भारत के रक्षा जखीरे में गेमचेंजर के रूप में पेश किया गया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्टूबर 2016 में गोवा में हुई बैठक में पांच एस-400 सिस्टम खरीदने पर सहमति बनी।
 
इस साल अक्टूबर में मोदी और पुतिन के बीच होने वाली बैठक के आलोक में भारत और रूस इस अनुंबध को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इस बीच अमेरिका ने नई दिल्ली को इस डील पर आगे बढ़ने पर आगाह किया है। भारत और रूस फिलहाल हालिया अमरीकी कानून CAATSA (काउंटरिंग अमीरकाज अडवर्सरीज थ्रू सैंक्संस ऐक्ट) के वित्तीय प्रतिबंधों से बचने का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। अमरीका इस कानून के माध्यम से दूसरे देशों को रूस से हथियार खरीदने से रोकने की कोशिश कर रहा है।  मीडिया रिपर्ट के मुताबिक इस नए नियम की वजह से दिल्ली और मॉस्को 12 अरब डॉलर के मिलिटरी प्रॉजेक्ट अधर में लटक गए हैं। 
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