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संत कबीर के बहाने प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना
By Deshwani | Publish Date: 28/6/2018 1:10:41 PM
संत कबीर के बहाने प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना

संतकबीर नगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाति-पंथ से परे होकर मानवता के धर्म का अनुपालन करने की सीख देने वाले संत कबीरदास की निर्वाण स्थली मगहर पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा का संबोधन भोजपुरी में शुरू किया तो वहां का जनसानस उनका मुरीद हो गया। आजादी के बाद से यह पहला मौका है जब कोई प्रधानमंत्री मगहर आया है। 

संतकबीर दास की परिनिर्वाण स्थली मगहर पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी ने उपस्थित जनसमुदाय को भोजपुरी में प्रणाम किया और कहा कि इस पावन भूमि को प्रणाम करत बानी। यह हमार सौभाग्य है कि आज हम यहां आइल बानी। मगहर आकर मन को विशेष संतोष मिला। मैंने गुफा को देखा जहाँ कबीर साधना किया करते थे। यहीं पर संतकबीर, गुरु नानक व गुरु गोरखनाथ ने आध्यत्मिक चर्चा की थी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज के दौर में सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं। यह सभी लोग समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं। देश में कुछ दलों को शांति और विकास नहीं, कलह और अशांति चाहिए। उनको लगता है जितना असंतोष और अशांति का वातावरण बनाएंगे उतना राजनीतिक लाभ होगा। समाजवाद और बहुजन की बात करने वालों का सत्ता के प्रति लालच आप देख रहे हैं। 2 दिन पहले देश में आपातकाल को 43 साल हुए हैं। सत्ता का लालच ऐसा है कि आपातकाल लगाने वाले और उस समय आपातकाल का विरोध करने वाले एक साथ आ गए हैं। समाज नहीं, सिर्फ अपने और अपने परिवार का हित देखते हैं।

 प्रधानमंत्री ने कहा कि सच्चाई यह है कि ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश के राजनेताओं को गरीबों की चिंता नहीं रही। उन्‍होंने कभी गरीबों के लिए घर का निर्माण नहीं कराया। जब मोदी सरकार आई तो गरीबों के लिए छत का इंतजाम शुरू करा दिया। अभी दो दिन पहले ही देश में आपाल काल के 47 साल हुए। सत्ता की लालच ऐसा हो गया है कि आपात काल लाने वाले और उसका विरोध करने वाले कंधा से कंधा मिला लिए हैं।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन तलाक के मामले में भी इन राजनीतिक दलों को देखा है। आज मुस्लिम महिलाएं भी तीन तलाक के खिलाफ हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के लोग मुस्लिम महिलाओं की भलाई की कोई चिंता नहीं है। कबीरदास ने कहा था कि शासक वही है जो जनता की पीड़ा को समझता हो और उसका निदान करता हो। पर अफसोस कुछ परिवार आज कबीरदास की बात को पूरी तरह नकारने में लगे हैं। वह भूल गए हैं कि आज हमारे साथ कबीर दास हैं। कबीर दास  मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद पैदा करने वालों के खिलाफ थे।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कबीर के दर्शन को लोग नहीं समझ रहे हैं। हमारी सरकार गरीब, दलित, पीडि़त, वंचित लोगों के लिए काम कर रही है। लगभग पांच करोड़ लोगों का खाता खुलवाया। करीब एक करोड़ लोगों को सुरक्षा बीमा का कवच देकर और यूपी के गांवों में सवा करोड़ शौचालय बनवाया। हमने सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं देने का वीणा उठाया है। कबीर श्रमयोगी थे। कबीर ने कहा था कि काल करे सो आज कर, उसी के तहत तेजी के साथ बन रही सड़कें एवं कार्य कबीर के विचारों का प्रतिबिंब है। भारत का पूर्वी भाग विकास से अलग कर दिया था। आज काम हो रहा है। संत कबीर धूल से उठे लेकिन माथे का चन्दन बन गए, वो व्यक्ति से अभिव्यक्ति और इससे आगे बढ़कर शब्द से शब्दब्रह्म हो गए।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज मुझे भी तीर्थ स्थल पर आने का मौका मिला। मैने कबीर की मजार पर चादर चढ़ाई, फूल चढ़ाया। कबीर दास की गुफा भी देखी। उन्होंने कहा कि यह भूमि पूण्य फल देने वाला है। करीब 24 करोड़ रुपये की लागत से कबीर के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर का पूरा जीवन सत्य की खोज में बीता है। वह फक्कड़ स्वभाव के थे, लेकिन दिल के साफ थे। बाहर से कठोर और भीतर से कोमल थे। वह अपने जन्म से नहीं कर्म से महान बन गए।


प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर व्यक्ति से अभिव्यक्ति बन गए। उन्‍होंने समाज की चेतना को जागृत करने का काम किया। उन्‍होंने कहा था कि यदि हृदय में राम है तो क्या काशी क्या मगहर। कबीर दास कहते थे कि हम काशी में प्रकट भये हैं, रामानंद चेताए। कबीर भारत की आत्मा और रससार कहे जा सकते हैं। उन्होंने जाति-पाति के भेद तोड़ा। वह सबके थे, इसलिए सब उनके हो गए। संत रामानंद ने संत कबीर को रामनाम की राह दिखाई। आज महापुरुषों के नाम पर राजनीति की जा रही है।


समाज को सदियों से दिशा दे रहे मार्गदर्शक, समभाव और समरसता के प्रतिबिम्ब महात्मा कबीर को उनकी ही निर्वाण भूमि से मैं उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूँ। सैकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में अगर देश की आत्मा बची रही, तो वो ऐसे संतों की वजह से ही हुआ। कबीर ने जाति-पाति के भेद तोड़े, "सब मानुस की एक जाति” घोषित किया, अपने भीतर के अहंकार को ख़त्म कर उसमें विराजे और ईश्वर का दर्शन करने का रास्ता दिखाया। कबीर की साधना 'मानने’ से नहीं, ‘जानने’ से आरम्भ होती है। सिर से पैर तक मस्तमौला, स्वभाव के फक्कड़, आदत में अक्खड़, भक्त के सामने सेवक, बादशाह के सामने प्रचंड दिलेर, दिल के साफ, दिमाग के दुरुस्त, भीतर से कोमल बाहर से कठोर थे।


प्रधानमंत्री ने कहा कि कबीर को समझने के लिए कोई भाषा नहीं गढ़ी। बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया। बोलचाल की भाषा में ही उन्होंने जीवन दर्शन को बताया। उनके कई दोहों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ समाज में आने वाली आंतरिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए ऋषियों, मुनियों ने हमें मार्ग दिखाया। देश की चेतना को बचाने का कार्य संतों ने समय समय पर किया। उन्होंने बल्लभाचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंद, तुलसी आदि कई संतों का नाम लेते हुए कहा कि उस दौर में भी तमाम विपत्तियों से गुजरते हुए समाज को नई दिशा दी। रामानंद ने तो समाज के सभी वर्गों को जोड़कर जाति-पाति और छुआछूत को समाप्त किया। संत कबीर के बाद संत रैदास आए। अंबेडकर आए। सभी ने अपने-अपने तरीके से समाज को रास्ता दिखाया। बाबा साहब अंबेडकर ने हमें जीने का अधिकार दिया। आज समाज में राजनीतिक लाभ लेने के लिए समाज में असंतोष पैदा कर रहे हैं।


गरीब के लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए तत्कालीन प्रदेश सरकार ने सहयोग नहीं किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सच्चाई यह है कि ऐसे लोग जमीन से कट चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश के राजनेताओं को गरीबों की चिंता नहीं रही। उन्होंने कभी गरीबों के लिए घर का निर्माण नहीं कराया। जब मोदी सरकार आई तो गरीबों के लिए छत का इंतजाम शुरू करा दिया। अभी दो दिन पहले ही देश में आपाल काल के 47 साल हुए। सत्ता की लालच ऐसा हो गया है कि आपात काल लाने वाले और उसका विरोध करने वाले कंधा से कंधा मिला लिए हैं। प्रधानमंत्री ने साहेब बंदगी, साहेब बंदगी कहते हुए सभा को समाप्त किया। 

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