नई दिल्ली। देश में बैंक घोटाले लगातार बढ़ रहे हैं। ये घोटाले इतने ज़्यादा हो गए हैं कि मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना भी इस से बच नहीं पाई है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले तो हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन जब वो अपना वादा निभा नहीं पाए तो उन्होंने स्वरोजगार के लिए इस योजना की शुरुआत की। इसके अंतर्गत लोगों को स्वरोजगार के लिए लोन दिए जाते हैं।
‘गुड गवर्नेंस’ का नारा देने वाली मोदी सरकार ने रिकॉर्ड बनाने और उसका प्रचार करने के साथ घोटालों का घर बना दिया है। इस मामले में कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा वार करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के शासन में भारत में वित्तीय अराजकता और आर्थिक कुप्रबंधन के कारण 70,000 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले हुए। कांग्रेस ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए भारतीय जीवन बीमा को डूबते हुए आईडीबीआई बैंक को खरीदने को मजबूर कर रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि कई बैंकों में हुए घोटाले से बैंकिंग क्षेत्र में संकट गहरा गया है। एक और 6,978 करोड़ का बैंक घोटाला उजागर होने के बाद अब 13 बैंकों में हुए घोटाले की कुल रकम 70,014 करोड़ रुपये हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि फरीदाबाद स्थित डायवर्सिफाइड कंपनी, एसआरएस समूह आपराधिक साजिश, ठगी और 6,978 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में लिप्त रही है जिसने कथित तौर पर सैकड़ों फर्जी कंपनियों के जरिये 17 बैंकों को चूना लगाया है। कंपनी ने काले धन को सफेद करने के साथ-साथ घर खरीदने वाले हजारों लोगों के साथ धोखाधड़ी की है।
वित्तवर्ष 2017-18 की चौथीतिमाही में भारतीय बैंकों का घाटा 90,000 करोड़ रुपये होने का जिक्र करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार में वित्तीय अराजकता लगातार जारी है और एनपीए जो 2013-14 में 2,63,000 करोड़ रुपये था वह बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपये हो गया है।