आपातकाल के काले अध्यायों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा : प्रकाश जावड़ेकर
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी आज आपातकाल की बरसी को काला दिवस के रूप में मना रही है। बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने जगह-जगह कार्यक्रमों में शामिल होकर इमरजेंसी के दौरान लोगों को हुई दिक्कतों के बारे में बताया। इसी क्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा कि पाठ्यक्रमों में आपातकाल से जुड़े विषय हैं लेकिन आपातकाल किस तरह लागू किया गया और लोकतंत्र के इतिहास में इसे काला अध्याय क्यों कहा जाता है, इन सब की जानकारियों को भी वह पाठ्यक्रमों में शामिल करवाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ी इसके बारे में जान सके।
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाए कि देश को आपातकाल में झोंकने वाली कांग्रेस आज लोकतंत्र की दुहाई दे रही है. उन्होंने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रमों में आपातकाल के काले अध्यायों को शामिल कराया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी जान सके कि उनके पूर्वजों ने इमरजेंसी के दौरान किस-किस तरह की यातनाएं झेली थीं।
इस दिन को याद करते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखा, 'यह इस घोषित नीति के आधार पर एक अनावश्यक आपातकाल था कि इंदिरा गांधी भारत के लिए अपरिहार्य थीं और सभी विरोधी आवाजों को कुचल दिया जाना था। लोकतंत्र को संवैधानिक तानाशाही में बदलने के लिए संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल किया गया।'
बता दें कि तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल घोषित कर दिया गया था। इमरजेंसी के दौरान लाखों लोगों को जेल में भेज दिया गया। मीडिया को भी सरकार अपने नियंत्रण में रखा था। 21 महीने तक लगातार आपातकाल समय चला।
आजाद भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया।