राष्ट्रीय
गुजरात उच्च न्यायालय ने दोषियों को सुनाई 10 साल की सजा
By Deshwani | Publish Date: 25/6/2018 5:54:25 PM अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात में 2002 के नरोदा पाटिया जनसंहार मामले में तीन दोषियों को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दोषियों को अपराध की बर्बरता के अनुसार ही सजा देनी चाहिए। इस मामले में 16 आरोपियों में से तीन को 20 अप्रैल को सुनाए गए फैसले में दोषी करार दिया गया था।
न्यायमूर्ति हर्ष देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की खंड पीठ ने तीन दोषियों - पी जी राजपूत , राजकुमार चौमल और उमेश भड़वाड को 10 साल की कठोर सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसी अदालत द्वारा 20 अप्रैल को उन्हें दोषी ठहराए जाने पर तीनों दोषियों ने उनकी सजा की अवधि के सवाल पर आगे सुनवाई करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उनका सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हुआ था।
अदालत ने आज तीनों दोषियों को सजा सुनाते हुए उन्हें छह सप्ताह के भीतर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। अदालत ने सजा की अवधि के बारे में अपने फैसले में कहा कि इन लोगों द्वारा किया गया अपराध समाज के खिलाफ था और सजा भी दोषियों के अपराध की बर्बरता के अनुसार ही होनी चाहिए। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के एक दिन बाद गुजरात में भड़के दंगों में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में 28 फरवरी ,2002 को एक भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी। इस घटना में मारे गये ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे।