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मोदी की 90 वर्षीय ‘रिश्तेदार’अपने मकान के किराए को लेकर हुई परेशान
By Deshwani | Publish Date: 24/6/2018 5:35:29 PM
मोदी की 90 वर्षीय ‘रिश्तेदार’अपने मकान के किराए को लेकर हुई परेशान

 नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रिश्तेदार होने का दावा करने वाली 90 वर्ष की एक महिला ने श्रम मंत्रालय से अपनी उस आरटीआई अर्जी पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एक अपीलीय प्राधिकार का दरवाजा खटखटाया है जिसमें उन्होंने अपने मकान में चल रही एक सरकारी डिस्पेंसरी के लीज नवीनीकरण को लेकर जानकारी मांगी थी। गत सप्ताह सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू के समक्ष पिछली सुनवाई के दौरान दहिबेन नरोत्तमदास मोदी ने अपने भवन को लेकर परेशानी से अवगत कराया जिसे 11 अप्रैल 1983 को 600 रुपए प्रति महीने पर किराये पर दिया गया था।  

 
गुजरात के मेहसाणा जिले में वडनगर स्थित इस भवन को बीड़ी श्रमिक कल्याण कोष (बीडब्ल्यूडब्ल्यूएफ) डिस्पेंसरी चलाने के लिए दिया गया था। उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष किए गए अनुरोध में कहा कि 1983 से 1998 के बीच लीज पुनरीक्षणों के जरिये किराया 600 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए किया गया। दहिबेन ने एक आरटीआई अर्जी गत वर्ष दिसम्बर में दायर की थी जिसमें उन्होंने लीज का ब्योरा, नवीनीकरण, किराया तय करने के नियम, प्रत्येक पांच वर्ष पर उनकी लीज नवीनीकृत नहीं करने के कारण और यह भी पूछा था कि क्या विभाग उस अवधि के दौरान के बकाये का भुगतान करेगा जिस दौरान प्रत्येक पांच वर्ष पर उनका लीज नवीनीकृत नहीं किया गया। दहिबेन की ओर से सीआईसी के समक्ष दी गई जानकारी के अनुसार जब उन्हें अपने सूचना के अधिकार अर्जी पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला और उच्च प्राधिकारियों के समक्ष उनकी पहली अपील पर कोई जवाब नहीं मिला तब मामला आयोग के समक्ष पहुंचा।  
 
दहिबेन ने दावा किया कि वह अकेले रहती हैं और उनका गुजर-बसर उस इमारत के किराये के तौर पर मिलने वाले मात्र 1500 रुपए से होता है जिसका पुनरीक्षण लंबित है। वेल्फेयर एंड सेस कमिश्नर एस एस भोपले ने एक पत्र के जरिये आयोग को बताया कि पिछले लीज समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद कार्यालय ने 24 जुलाई 2002 और 15 मई 2008 की तिथि वाले पत्रों के जरिए किराये पुनरीक्षण के लिए ताजा दस्तावेज जमा कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि दस्तावेज जमा नहीं कराए गए इसलिए दरों का पुनरीक्षण नहीं हो सका। सीआईसी के समक्ष सुनवायी के दौरान दहिबेन के प्रतिनिधि ने आयोग को बताया कि जब तक उनकी ‘सूचना जरूरतों’ को पूरा नहीं किया जाता वह कल्याण आयुक्त कार्यालय की ओर से लीज नवीनीकरण के लिए मांगे गए दस्तावेज मुहैया नहीं कराएंगी। उन्होंने कहा कि वह बहुत वृद्ध हैं और वह दस्तावेजीकरण के प्रत्येक चरण पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय और कल्याण आयुक्त कार्यालय नहीं जा सकती।
 
दहिबेन ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष दायर अपनी दूसरी अपील में कहा, ‘‘मैं 90 वर्ष की वृद्ध हूं और ऐसे मानसिक अत्याचार मेरे लिए असहनीय हैं। चूंकि मेरा कोई पुत्र या और कोई नहीं है इसलिए मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।’’ दहिबेन की ओर से दायर दूसरी अपील, आरटीआई अर्जी और पहली अपील की प्रति पीटीआई के पास है। दहिबेन की 21 दिसम्बर 2017 की तिथि वाले आरटीआई अर्जी के जवाब में सीपीआईओ और सहायक कल्याण आयुक्त टी.बी. मोइत्रा ने दहिबेन को बताया कि कुछ सूचना उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। मोइत्रा ने कहा कि लीज का पुनरीक्षण एक नए किराये पर किया जा सकता है जिसका निर्धारण गुजरात में पीडब्ल्यूडी/ सीपीडब्ल्यूडी प्राधिकारियों के आकलन के बाद हो सकता है। इस जवाब को दहिबेन के प्रतिनिधि ने 21 जून 2018 को हुई सुनवायई के दौरान उद्धृत किया।
 
सीपीआईओ ने कहा कि दहिबेन को लीज के नवीनीकरण के लिए दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा गया था जो कि नहीं किया गया इसलिए नवीनीकरण लंबित है। जवाब को दहिबेन ने असंतोषनक पाया जिसके बाद उन्होंने मोइत्रा के वरिष्ठ अधिकारी भोपले के समक्ष नौ जनवरी 2018 को दायर अपनी पहली अपील में दावा किया कि वह ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असली रिश्तेदार’हैं और ‘‘यदि उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह मामले के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराएंगी।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ अपने संबंध के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उन्होंने पहली अपील नहीं सुनने पर सीआईसी के समक्ष एक दूसरी अपील दायर की। मामले पर 21 जून को सुनवायी के दौरान आचार्युलू ने कहा कि उन्होंने हालांकि प्रधानमंत्री की एक रिश्तेदार होने का दावा किया है लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल प्राधिकारियों को प्रभावित करने के लिए नहीं किया। उन्होंने उसका उल्लेख तब किया जब उन्हें कोई उचित जवाब नहीं मिला। आचार्युलू ने उन्हें हुई परेशानी को लेकर विभाग से कुछ कड़े सवाल किये और कहा कि उनकी आरटीआई अर्जी देखने वाले अधिकारियों पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए।
 
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