नई दिल्ली। दिल्ली में 100 से अधिक संगठनों ने केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को मार्च निकाला। जन एकता जन अधिकार आंदोलन (जेईजेएए) से जुड़े लोग ‘पोल खोल , हल्ला बोल ’ के नारे के साथ भाजपा सरकार के खिलाफ बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतरे।
केंद्र की राजग सरकार इस सप्ताह अपने कार्यकाल का चौथा वर्ष पूरा करने जा रही है। जेईजेएए श्रमिक संगठनों , किसान संगठनों , राज्य एवं केंद्र सरकार के कर्मचारियों , दलितों , आदिवासियों , पर्यावरणविदों समेत अन्य का एसोसिएशन है। यह मार्च संसद मार्ग पर समाप्त हुआ। वहां विभिन्न संगठनों के नेताओं ने लोगों को संबोधित किया। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के नेता हन्नान मोल्ला ने कहा ,‘‘ राजग सरकार के चार वर्षों ने सभी मेहनतकश लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है और जनता से किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है। उसने ‘ सबका विकास ’ का वादा किया था , लेकिन विकास सिर्फ कुछ चुनी हुई कॉरपोरेट कंपनियों के लिये था। या तो सरकार अपनी नीतियां बदले या जनता सरकार को बदल देगी। ’
उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन पिछले चार वर्षों में दो लाख नौकरियां भी नहीं दी गईं। एआईकेएस नेता अतुल अंजान ने कहा कि महंगाई आसमान छू रही है और बिना धन के जन वितरण प्रणाली चरमरा गई है। उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में मनमानी वृद्धि के जरिए लोगों को लूटने के कॉरपोरेट कंपनियों के मिशन के आगे मोदी सरकार ने आत्मसमर्पण कर दिया है। ’’
जेईजेएए के नेताओं ने भाजपा-आरएसएस पर जातीय और सांप्रदायिक नफरत फैलाकर और हिंसा के जरिए ‘आतंक फैलाने’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह ‘मोदी सरकार के खिलाफ जंग’ है। सभा में मौजूद नेताओं ने आरोप लगाया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने कब्जा जमा लिया है और भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर हो गई है। खुलेआम गिरोह सड़कों पर लोगों की पीट - पीटकर हत्या कर रहा है और सत्ता में बैठे लोग अपराधियों को बचा रहे हैं।
विरोध मार्च का आयोजन सभी राज्यों की राजधानियों में भी किया गया। पर्चा बांटकर , साइकिल और मोटरसाइकिल रैलियों और देशभर में बैठकों के आयोजन के जरिए एक सप्ताह तक अभियान चलाया जाएगा।