राष्ट्रीय
कांग्रेस-जेडीएस को उच्चतम न्यायालय का झटकाः प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे केजी बोपैया
By Deshwani | Publish Date: 19/5/2018 12:49:12 PMनई दिल्ली। प्रोटेम स्पीकर के तौर पर केजी बोपैया की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जेडीएस-कांग्रेस की याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बोपैया का पक्ष सुने बिना कोर्ट उन्हें हटा नहीं सकता है। कोर्ट ने कहा कि उनकी नियुक्ति रद्द करने का मतलब फ्लोर टेस्ट को आगे बढ़ाना होगा। कोर्ट ने कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए बोपैया प्रोटेम स्पीकर बने रहेंगे। कोर्ट में एडिशनल एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाएगी।
उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस-जेडीएस की तरफ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए कहा कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य की नियुक्ति प्रोटेम स्पीकर के तौर पर होनी चाहिए। इस परजस्टिस एसए बोबड़े ने कहा कि कई ऐसे मौके भी आए हैं जब सदन के सबसे सीनियर सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया गया है. बीजेपी की तरफ से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने जस्टिस बोबड़े की बात का समर्थन किया और कहा कि सिब्बल खुद एक ऐसे सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाने को लेकर दलील दे चुके हैं जो सदन में काफी जूनियर थे।
इसके बाद कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के 2011 के फैसले का जिक्र किया जिसमें कोर्ट ने प्रोटेम स्पीकर के तौर पर केजी बोपैया की भूमिका की आलोचना की थी। येदियुरप्पा के करीबी माने जाने वाले बोपैया ने शक्ति परीक्षण में येदियुरप्पा को फायदा पहुंचाने के लिए बीजेपी से नाराज चल रहे 11 बीजेपी विधायकों और 5 निर्दलीय विधायकों को बर्खास्त कर दिया था। उनके फैसले का कर्नाटक हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था। कोर्ट ने कहा था कि बोपैया ने हड़बड़ी में वह फैसला लिया था।
सिब्बल के इस तर्क पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम बोपैया का पक्ष सुने बिना उनके खिलाफ फैसला नहीं दे सकते हैं। आप दो अलग-अलग बातें कर रहे हैं। एक तरफ आप प्रोटेम स्पीकर का विरोध कर रहे हैं और दूसरी तरफ उन्हें जवाब देने का वक्त भी नहीं देना चाहते। हम आपकी बात सुन सकते हैं लेकिन इसके लिए फ्लोर टेस्ट को पोस्टपोन करना होगा।'