ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
आधार पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला टला
By Deshwani | Publish Date: 11/5/2018 10:55:26 AM
आधार पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला टला

नई दिल्ली। आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई अब पूरी हो चुकी है। संविधान पीठ ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने करीब साढ़े चार महीने के दौरान 38 दिन इन याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ ने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तस्वामी की याचिका सहित 31 याचिकाओं पर सुनवाई की थी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं।
 
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को जानकारी दी कि 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले के बाद निरंतर सुनवाई के संदर्भ में यह दूसरा सबसे लंबा मामला बन गया है। वेणुगोपाल ने कहा कि केशवानंद भारती मामले में पांच महीने सुनवाई हुई थी और इस मामले में निरंतर साढ़े चार महीने सुनवाई हुई। यह इतिहास में निरंतर सुनवाई के संदर्भ में दूसरा सबसे लंबा मामला है।
 
सुनवाई के दौरान केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और विभिन्न पक्षकारों की ओर से कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, राकेश द्विवेदी, श्याम दीवान और अरविन्द दातार सरीखे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने आधार नंबरों के साथ मोबाइल फोन जोड़ने के निर्णय का बचाव करते हुये कहा कि यदि मोबाइल उपभोक्ताओं का सत्यापन नहीं किया जाता तो उसे शीर्ष अदालत अवमानना के लिये जिम्मेदार ठहराती।
 
हालांकि, न्यायालय ने कहा था कि सरकार ने उसके आदेश की गलत व्याख्या की और उसने मोबाइल उपभोक्ताओं के लिये आधार को अनिवार्य बनाने के लिये इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। शीर्ष अदालत सरकार की इस दलील से सहमत नहीं थी कि लोक सभा अध्यक्ष ने आधार विधेयक को सही मायने में धन विधेयक बताया था क्योंकि यह समेकित कोष से मिलने वाले कोष से दी जा रही सब्सिडी से संबंधित है।
 
 
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS