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नेशनल अवॉर्ड न लेने वालों के अब 'घर तक' पुरस्‍कार पहुंचाएगी सरकार
By Deshwani | Publish Date: 6/5/2018 10:39:37 AM
नेशनल अवॉर्ड न लेने वालों के अब 'घर तक' पुरस्‍कार पहुंचाएगी सरकार

नई दिल्‍ली। साल की सर्वश्रेष्‍ठ फ‍िल्‍मों को दिए जाने वाले नेशनल अवॉर्ड उस समय विवादों के घेरे में आ गए थे, जब इस सम्‍मान को राष्‍ट्रपत‍ि के हाथों न म‍िलने के कारण कुछ कलाकारों ने लेने से इनकार कर द‍िया था। इसमें कई जाने माने नाम शाम‍िल थे। ऐसे लोग जि‍न्‍होेंने ये अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था, सरकार अब उन तक ये अवाॅर्ड पहुंचाने की योजना बना रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरण समारोह में हिस्सा नहीं लेने वाले 50 से अधिक विजेताओं को डाक के जरिये प्रशस्ति पत्र, मेडल और चेक भेजने पर विचार कर रहा है।

 
राष्ट्रीय राजधानी में तीन मई को राष्ट्रीय पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित किया गया,  लेकिन राष्ट्रपति द्वारा कुछ ही विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये जाने के कारण कई लोगों ने समारोह के ‘बहिष्कार’ का फैसला किया। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया, ‘मंत्रालय समारोह में अनुपस्थित रहने वालों को डाक के जरिये पुरस्कार भेजने पर विचार कर रहा है। इस संबंध में जल्द ही फैसला किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि किसी कारण से कार्यक्रम में शिरकत नहीं करने वालों को डाक के जरिये पुरस्कार भेजने की परंपरा नई नहीं है।
 
 
इस साल विज्ञान भवन में पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन दो चरण में किया गया। पहले चरण में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने विजेताओं को सम्मानित किया। दूसरे चरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कार प्रदान किये।
 
इससे पहले दिन में राष्ट्रपति और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नाम लिखे एक खुले पत्र में करीब 70 कलाकारों ने कहा था कि वे पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्थापित परंपरा से अलग हटकर केवल 11 लोगों को पुरस्कार देंगे। पत्र में लिखा है, ‘यह भरोसे के टूटने जैसा लगता है, जब अत्यधिक प्रोटोकॉल का पालन करने वाला एक संस्थान/समारोह हमें पूर्व सूचना नहीं देता है और समारोह के इस महत्वपूर्ण आयाम की सूचना देने में विफल रहता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि 65 साल से चली आ रही परंपरा को एक पल में बदला जा रहा है।’
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