राष्ट्रीय
फटकार: सो-सो कर जागने की आदत कब छोड़ेगी केंद्र सरकार : सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 1/5/2018 11:29:15 AM नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर सरकार सो-सो कर जागने की अपनी आदत से कब बाज आएगी। दरअसल कोर्ट ने कानून के एक ही तरह के मामलों से संबंधित एक जैसे सवालों को लेकर केंद्र से नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को अपनी मुकद्दमा नीति में सुधार की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र बेकार मामलों पर अपील दायर करके जहां एक तरफ खुद पर वित्तीय बोझ बढ़ाती है, वहीं इससे कोर्ट की कार्रवाई पर भी असर पड़ता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की इस गलत नीति के कारण उस पर जुर्माना भी लगाया जा चुका है लेकिन केंद्र ने इससे कोई सबक नहीं लिया। जस्टिस मदन बी.लोकुर और दीपक गुप्ता की एक बेंच ने एनडीए सरकार के सुधारवादी नारे 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस' का हवाला दिया है। बेंच ने कहा कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनस की आड़ में न्यायापालिका से सुधार करने के लिए कहा जा रहा है लेकिन वास्तव में वह अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपते हैं।'
बेंच ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि किसी दिन यूनियन ऑफ इंडिया को यथार्थवादी और सार्थक राष्ट्रीय मुकद्दमा नीति तैयार करने के संबंध में अक्ल आएगी। कोर्ट ने पिछले साल 8 दिसंबर को केंद्र सरकार द्वारा दायर की गईं कई अपीलों को खारिज कर दिया था। उसी मामले पर कानून के एक जैसे सवालों से जुड़ी कई सारी अपीलें दायर की थी जिसे 9 मार्च को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। सरकार फिर भी नहीं सुधरी और एक बार फिर से कानूनी मामलों पर सरकार ने तीसरी बार अपील दायर कर दी जिस पर जस्टिस लोकुर और गुप्ता की बेंच सख्त हो गई और कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र ने कोई सबक नहीं सीखा और अपना व कोर्ट का समय बर्बाद किया।