राष्ट्रीय
चांद-तारे वाला हरे रंग के झंडे के इस्तेमाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
By Deshwani | Publish Date: 17/4/2018 4:38:24 PMनई दिल्ली। तीन तलाक, हलाला के बाद चांद तारे वाले हरे रंग के झंडे के इस्तेमाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये झंडा इस्लाम का हिस्सा नहीं है ऐसे में इस तरह के झंडे लहराने पर पाबंदी लगनी चाहिए। देश में कई मुस्लिम संगठन ऐसे ही हरे रंग के झंडे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ये झंडा पाकिस्तान की एक राजनीतिक पार्टी के झंडे जैसा लगता है इसलिए इस झंडे पर पाबंदी लगानी की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता वसीम रिजवी की दलील है कि हरे कपड़े पर चांदतारा के निशान वाले मुस्लिम लीग के इस झंडे का इस्लामी मान्यताओं से कोई लेना देना नहीं। न तो हरा रंग और ना ही चांदतारा इस्लाम के अभिन्न अंग हैं। ये तो दुश्मन देश की राजनीतिक पार्टी का झंडा है। इससे मिलता-जुलता पाकिस्तान का झंडा है और इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे लहराने वाले दरअसल पाकिस्तान के साथ खुद का जुड़ाव महसूस करते हैं।
शिया यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि दरअसल ये झंडा 1906 में बनी मुस्लिम लीग का था जो 1946 में खत्म हो गई। देश के बंटवारे के जिम्मेदारों में से अहम किरदार निभाने वाली मुस्लिम लीग ने 1947 में पाकिस्तान में नया चोला पहना और नए नाम के साथ, लेकिन अपना झंडा और निशान वही चांदतारा वाला हर झंडा रखा।
उन्होंने कहा कि पार्टी उसी हरे चांद तारे वाले झंडे के साथ मुस्लिम लीग कायदे आजम के नाम से जानी गई। पाकिस्तान का झंडा भी मुस्लिम लीग के झंडे में ही एक सफेद पट्टी लगाकर तैयार किया गया। इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे इमारतों की छतों पर फहराना दरअसल अपने देश के संविधान, स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन है। संविधान इसकी कतई इजाजत नहीं देता कि लोग धर्म या सेक्युलरिज्म की आड़ में दुश्मन देश की एक खास राजनीतिक पार्टी का झंडा अपने घरों, इमारतों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर फहराएं।