नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर राम मंदिर का राग अलापा है। उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि बाहरी लोगों ने अयोध्या के राम मंदिर को नष्ट किया था। अब देश की जिम्मेदारी है कि वह राम मंदिर को दोबारा से स्थापित करे। उसी जगह पर मंदिर स्थापित होना चाहिए। इसके लिए हम लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि राम मंदिर का निर्माण इच्छा नहीं संकल्प है। अगर राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ तो भारत अपनी संस्कृति से कट जाएगा।
हाल ही में मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के मऊसहानियां में महाराजा छत्रसाल की 52 फुट ऊंची प्रतिमा के अनावरण समारोह में भी कहा था, 'राम मंदिर का निर्माण सिर्फ इच्छा नहीं, संकल्प है। वर्तमान समय को राम मंदिर निर्माण का सबसे अनुकूल समय बताते हुए कहा, राम मंदिर बनने के लिए समय अनुकूल है, इसलिए राम मंदिर बनाने वालों को राम जैसा बनना पड़ेगा। तभी यह कार्य संभव है।"
भागवत ने कहा, "महाराज छत्रसाल ने समाज के सब लोगों को जोड़कर अपने साम्राज्य की स्थापना की थी, महाराज छत्रसाल शिवाजी महाराज के पास पहुंचे और उनसे परिस्थितिवश सम्प्रदाय की प्रजा के बीच भेद उत्पन्न करने वाले दुश्मनों को ठिकाने लगाने उनकी सेना में शामिल होने का मन बनाया था, लेकिन शिवाजी ने महाराज छत्रसाल को अपने परिश्रम से प्रजा की रक्षा करने हेतु वापस कर दिया था।"
उन्होंने कहा कि महाराज छत्रसाल को भय दूर-दूर तक नहीं था, चंद साथियों के साथ दुश्मनों से भिड़ जाने में वे माहिर रहे। प्रतिमा अनावरण समारोह में भागवत के साथ मंच पर न छत्रसाल के वंशजों को बैठने दिया गया और न ही नेताओ को, उनके साथ मंच साझा किया केवल धर्म गुरुओ ने किया।