राष्ट्रीय
ताजमहल पर हक जताने से पहले शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखाएं: सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 11/4/2018 1:45:29 PMनई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर 'ताजमहल' न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। ताजमहल को दुनिया के सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है। हालांकि इस बात को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं कि ताजमहल पर मालिकाना हक किसका है।ताजमहल के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में यह कौन विश्वास करेगा कि ताज़महल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय जाया नहीं करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कल एएसआई की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें एएसआई ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनोती दी है, जिसमें बोर्ड ने ताजमहल को वक़्फ़ बोर्ड के संपति घोषित कर दी थी।
कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है। बोर्ड की ओर से कहा गया कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी।
दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट में कहा कि वक़्फ़ बोर्ड जाए।