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12 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी, शाह समेत सभी भाजपा नेताओं का उपवास
By Deshwani | Publish Date: 10/4/2018 7:19:51 PM
12 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी, शाह समेत सभी भाजपा नेताओं का उपवास

 नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उपवास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी भाषा में जवाब देने की तैयारी में है। जानकारी के अनुसार, मोदी विपक्ष द्वारा संसद सत्र ठप्प करने की कोशिश के चलते 12 अप्रैल को उपवास रखने की तैयारी में है। हालांकि वह दिनभार कामकाज करते रहेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार सभी नेता अलग अलग स्थानों पर धरने पर बैठेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक के हुब्बली में धरना देंगे जबकि प्रधानमंत्री देश की राजधानी दिल्ली में उपवास करेंगे। अन्य सांसद अपने अपने क्षेत्रों में धरना देंगे और प्रदर्शन करेंगे।

 
सूत्रों के अनुसार समता दिवस के मौके पर मोदी कल भाजपा के सभी सांसदों एवं विधायकों को ऑडियो संदेश देंगे और कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति को जनता के सामने उजागर करने के लिए लोगों के बीच जाने को कहेंगे। भाजपा का कहना है कि जो पार्टी 55 वर्षाें तक केन्द्र में सत्ता में रही और 70 वर्षाें से देश के संसदीय इतिहास का मुख्य हिस्सा रही है उसी कांग्रेस ने दोनों सदनों को बाधित किया है। 
 
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार का आरोप है कि पांच मार्च को दूसरे चरण की शुरूआत में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मलिकार्जुन खडग़े ने नियम 193 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया था और जब अध्यक्ष ने इसे चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया तो बाद में वह पीछे हट गए। जबकि कांग्रेस ने संसद नहीं चलने देने के लिए सरकार द्वारा उसे दोषी ठहराने को ङ्क्षनदा करते हुए आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने संसद में गतिरोध जारी रखने की साजिश की है और इसके लिए उसने एक के बाद एक दल को संसद में हंगामा करने के लिए प्रेरित किया ताकि उसे जनता के सवालों का जवाब नहीं देना पड़े।
 
इस सत्र में लोकसभा में उत्पादकता मात्र 23 प्रतिशत और राज्यसभा की 28 प्रतिशत रही।   
गत 29 जनवरी से शुरू हुए इस बजट सत्र के दोनों चरणों में लोकसभा की 29 और राज्यसभा की 30 बैंठकें हुई हैं।
पहले चरण में लोकसभा की सात और राज्यसभा की आठ बैठकें हुई थी जिस दौरान लोकसभा की उत्पादकता 134 प्रतिशत और राज्यसभा की 96 प्रतिशत रही थी। लेकिन दूसरे चरण में कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय दलों के हंगामे के कारण लोकसभा की उत्पादकता मात्र चार प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता आठ प्रतिशत रह गई।
सत्र के दौरान लोकसभा में वित्त विधेयक 2018 सहित पांच विधेयक पेश किये और पांच ही विधेयक पारित भी किए गए। राज्यसभा में मात्र एक विधेयक पारित किया।  
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