नई दिल्ली। पाकिस्तान में छिपे बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथी फ़ारूक़ टकला मामले में सीबीआई ने बड़ा खुलासा किया है। सीबीआई ने अपनी पूछताछ में पता लगाया है कि साल 2011 में यूपीए सरकार ने फारूक टकला को फर्जी पासपोर्ट जारी किया गया था। फिलहाल फारूक टकला 28 मार्च तक सीबीआई रिमांड पर है। सोमवार को फारूक टकला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में हुई थी पेशी। सीबीआई ने अपनी रिमांड एप्लीकेशन में खुलासा किया है कि 8 फरवरी 2011 को तत्कालीन सरकारी विभाग के कुछ अधिकारियों ने फारूक टकला को फर्जी पासपोर्ट जारी किया था। सीबीआई ने अपने खुलासे में बताया है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने फारूक टकला को मुश्ताक मोहम्मद मियां के नाम पर जारी किया था।
ऐसे माना जा रहा है कि टकला को फर्जी पासपोर्ट जारी करने के मामले में सीबीआई तफ्तीश से जांच करना चाहती है। इसलिए बताया जा रहा है कि तत्कालीन यूपीए सरकार पासपोर्ट जारी करने से संबंधित विभागों में रहे कुछ सरकारी अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। इस मामले में विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय में तत्कालीन अधिकारियों से भी पूछताछ की जा सकती है।
आपको बता दें कि इस मामले में गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दुबई स्थित भारतीय मिशन ने 1993 के मुम्बई विस्फोट मामले के आरोपी फारूक टकला का पासपोर्ट रिन्यूएशन में स्थापित प्रक्रिया का पालन किया, क्योंकि दस्तावेज से इनकार करने को लेकर उसके खिलाफ कुछ भी नहीं था। दाऊद इ्ब्राहिम के नजदीकी सहयोगी टकला को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से उसके प्रत्यर्पण के बाद बीती आठ मार्च को गिरफ्तार किया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सीजीआई (भारत के महावाणिज्य दूतावास) ने पासपोर्ट नवीनीकृत करने के लिए पासपोर्ट कानून 1967 के तहत स्थापित दिशानिर्देशों का पालन किया. उसका पासपोर्ट नवीनीकृत नहीं करने के लिए सीजीआई के पास आवेदन के समय कोई कारण नहीं था।
उन्होंने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत गृह मंत्रालय को विदेश मंत्रालय और विदेश स्थित मिशनों को भगोड़ों और जांच एजेंसियों द्वारा वांछित व्यक्तियों के बारे में सूचित करना होता है। आपको बता दें कि गत सप्ताह जब यह पूछा गया था कि टकला ने अपना पासपोर्ट कैसे नवीनीकृत करा लिया, जिसके खिलाफ इंटरपोल ने 1995 में एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था, कुमार ने कहा था कि मंत्रालय इस बारे में विस्तृत जानकारी पता लगा रहा है।
कुमार ने कहा कि हमारे पास ऐसा कुछ होना चाहिए था, जो हमें पासपोर्ट जारी करने से रोक देता। उन्होंने कहा कि मिशन के पास टकला के खिलाफ कुछ भी लंबित नहीं था, जो उसे उसका दस्तावेज नवीनीकृत करने से रोकता। उन्होंने कहा कि मिशन ने आवेदन की जांच करने के लिए तीन स्तरीय प्रक्रिया का पालन किया। उन्होंने कहा कि उसके तहत जो किया जाना चाहिए था, वह किया गया।