नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी भले ही 2019 में दोबारा सरकार बनाने का सपना देख रही हो, लेकिन मोदी सरकार के लिए अभी से साथी दल उसके लिए नई परेशानियां खड़ी करने में लगे हैं। वाईएसआर कांग्रेस ने भाजपा नीत राजग सरकार के खिलाफ गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। यह कदम आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इंकार करने की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। वाईएसआर कांग्रेस को इस मामले में तेदेपा का भी साथ मिला है।
पार्टी के सांसद वाई वी सुब्बा रेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया कि इस प्रस्ताव को सदन के शुक्रवार के कामकाज में शामिल किया जाए। यह जानकारी रेड्डी के कार्यालय ने दी।
प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में 9 सदस्य हैं। अगर इसे स्वीकार कर लिया जाता है तो यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा।
वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने विभिन्न दलों के नेताओं को पत्र लिखकर प्रस्ताव के लिए समर्थन मांगा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि अगर केंद्र राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर अनिच्छुक रहता है तो उसके सभी सांसद छह अप्रैल को इस्तीफा दे देंगे।
जहां सुब्बा रेड्डी के कार्यालय ने कहा कि नोटिस सदन के आज के कामकाज में प्रस्ताव को शामिल करने के लिए दिया गया है, वहीं, वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी 21 मार्च को प्रस्ताव पेश करेगी।
विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे को विभिन्न दलों का समर्थन प्राप्त होने को देखते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी कहा कि तेदेपा आंध्र प्रदेश के हित में केंद्र में भाजपा नीत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी।
नायडू ने आंध्र प्रदेश विधानसभा में कहा कि जो भी अविश्वास प्रस्ताव लाएगा हम उसका समर्थन करेंगे। हम उसके लिए तैयार रहेंगे और हमारे 16-17 सांसद उसका पूरी तरह समर्थन करेंगे। हम राज्य के अधिकारों के लिए जो भी लड़ेगा उसका समर्थन करेंगे।