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यूपी की जेलों में दहशत: मुजफ्फरनगर की जेल में मिले एड्स की 6 नए मरीज
By Deshwani | Publish Date: 13/3/2018 3:49:53 PM
यूपी की जेलों में दहशत: मुजफ्फरनगर की जेल में मिले एड्स की 6 नए मरीज

 नई दिल्ली। यूपी की जेलों में एचआईवी संक्रमित कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। डासना, मेरठ और गोरखपुर जेल के बाद अब मुज़फ्फरनगर की जेल में भी 6 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। जिसके बाद जिला कारागार में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि उन कैदियों की पहचान गुप्त रखी गई है जिनका इलाज जिला चिकित्सालय में चल रहा है। जेल अधीक्षक एके सक्सेना ने बताया कि पिछले दिनों जेल में ब्लड चेकअप शिविर लगाया गया था जिसमें सभी कैदियों व बंदियों के ब्लड की जांच की गई थी। जिसमें 6 कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया है। जिसके बाद उनका इलाज जिला चिकित्सालय में चल रहा है। लगातार ऐसी खबरों से गोरखपुर, मेरठ समेत प्रदेश की आधा दर्जन जेलों के कैदी इन दिनों दहशत में है। क्योंकि एड्स का खतरा उनके सर पर मौत बनकर मंडरा रहा है।

 
इससे पहले उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में डासना जेल के 27 कैदियों को एचआईवी वायरस से संक्रमित पाया गया था। चिकित्सा अधिकारियों ने सभी 5,000 कैदियों के लिए एचआईवी परीक्षण का आदेश दिया है। पिछले साल 49 कैदियों को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया था। गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) एन के गुप्ता ने शुक्रवार को को बताया कि रोगियों को नियमित जांच और दवाएं मिलती हैं। उन्होंने कहा, "उन सभी 27 कैदियों को नियमित जांच और विशेषज्ञों और निःशुल्क दवाएं मिलती हैं. हम एचआईवी के लक्षणों के लिए समय-समय पर अन्य कैदियों की भी जांच करते हैं।"
 
मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में पिछले एक महीने में दो बंदियों में एचआईवी पॉजिटिव की पुष्टि हुई है। अब तक मेरठ जेल में दस बंदियों में एड्स की पुष्टि हो चुकी है। जिनका इलाज चल रहा है। दरअसल, गोरखपुर जेल में 24 कैदियों को एड्स होने का मामला शासन स्तर तक गूंजने के बाद प्रदेश के सभी जिलों में बंदियों में एचआईवी की जांच कराई गई थी। इसके बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। मेरठ सीएमओ राजकुमार के मुताबिक जिला कारागार में 10 बंदियों में एचआईवी एड्स की पुष्टि हुई है। महीने में दो बार जेल में कैंप लगाकर सभी बंदियों की जांच कराई जा रही है। सीएमओ मान रहे हैं कि इनमें कुछ बंदी पहले से HIV पॉजिटिव थे।
 
कुछ दिन पहले राज्य की जेलों में कैदियों के बीच एड्स प्रसारित खबरों पर उत्तर प्रदेश सरकार को एनएचआरसी ने नोटिस भेजा था। आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के आईजी (जेल) को नोटिस जारी कर मामले की विस्तृत रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर पेश करने को कहा था जिसमें इस खतरे से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए उसका जिक्र भी देना था। दरअसल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था जिसमें बताया गया था कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला जेल में चौबीस कैदी पिछले चार महीनों में एचआईवी पॉजीटिव पाए गए थे। खबर में बताया गया था कि इनमें 21 विचाराधीन और तीन अभियुक्त शामिल थे जिनमें एक महिला भी थी। खबर में यह भी बताया गया था कि राज्य के 70 जेलों में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी द्वारा किए गए परीक्षणों के दौरान पिछले साल दिसंबर तक 265 कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव पाया गया था। ये एचआईवी टेस्ट बरेली, इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ, फैजाबाद, आगरा, मेरठ, वाराणसी और कानपुर में जेलों में हुए थे।
 
एनएचआरसी के नोटिस के बाद प्रमुख सचिव गृह ने कैदियों में एचआईवी पॉजिटिव आने पर सफाई दी थी। उन्होंने बताया था कि 31 जनवरी 2018 तक उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद 99000 बंदियों में से 356 बंदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। एचआईवी पॉजिटिव पाए बंदियों का मेडिकल कॉलेजों पर किया जा रहा है इलाज। मुख्य सचिव के मुताबिक यूपी की जेलों में बंद कैदियों में सिर्फ 0.36 फीसदी कैदियों में ही एचआईवी पॉजिटिव की शिकायत पाई गई।  
 
एनएचआरसी के भेजे नोटिस पर प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि जेल में बंद कैदियों में जागरूकता के लिए सरकार ने 15 से 18 जनवरी तक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया था। इसके अलावा जेलों में बंद कैदियों का समय-समय पर मेडिकल परीक्षण भी किया जाता है। इसके अलावा जेल में बंद कैदियों के समुचित उपचार के लिए जरूरी निर्देश भी दिए जा चुके हैं। इस दौरान प्रमुख सचिव गृह ने जेलों में एचआईवी पॉजिटिव की रिपोर्ट को तथ्यात्मक तौर पर गलत बताया।
 
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