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SC का ऐतिहासिक फैसला, दिशा-निर्देश के साथ इच्छा मत्यु को दी मंजूरी
By Deshwani | Publish Date: 9/3/2018 4:23:57 PM
SC का ऐतिहासिक फैसला, दिशा-निर्देश के साथ इच्छा मत्यु को दी मंजूरी

नई दिल्ली। इच्छा मृत्यु को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए शर्त के साथ इच्छा मृत्यु को मंजूरी दी है। इसको लेकर कोर्ट ने सुरक्षा उपाय की गाइडलाइन्स जारी की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मान्यता देने की बात कही गई है। 

 
 
सुप्रीमकोर्ट ने गरिमा से जीने के अधिकार में गरिमा से मरने के अधिकार को शामिल मानते हुए व्यक्ति को 'लिविंग विल' यानी इच्छामृत्यु का अधिकार दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कोई व्यक्ति जीवित रहते मौत की वसीयत करके कह सकता है कि अगर वह मरणासन्न और लाइलाज स्थिति मे पहुंच जाए तो उसके जीवन रक्षक उपकरण हटा लिए जाएं।
 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर इच्छामृत्यु की मांग करने वाले लावते दंपति ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट से फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को यह अधिकार दिया जाना चाहिए। वे पुलिस और डॉक्टरों से इन लोगों के विवरण की पुष्टि कर सकते हैं। सरकार को एक नीति के साथ आगे आना चाहिए।'
 
वहीं, इच्छामृत्यु के फैसले पर मांसपेशीय दुर्विकास (मस्कुलर डायस्ट्रोफी) की मरीज अनामिका मिश्रा ने कहा, 'मैंने साल 2014 में इच्छामृत्यु के लिए अनुरोध किया था और प्रधानमंत्री मोदी ने इसपर संज्ञान भी लिया और स्थानीय अधिकारियों को इस मामले की जांच करने के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने अच्छा फैसला लिया है, अब हमें उम्मीद है।'
 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 12 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। अंतिम सुनवाई में केंद्र ने इच्छा मृत्यु का हक देने का विरोध करते हुए इसका दुरुपयोग होने की आशंका जताई थी। पिछली सुनवाई में संविधान पीठ ने कहा था कि 'राइट टू लाइफ' में गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमामय ढंग से मृत्यु का अधिकार भी शामिल है' ऐसा हम नहीं कहेंगे। हालांकि पीठ ने आगे कहा कि हम ये जरूर कहेंगे कि गरिमापूर्ण मृत्यु पीड़ा रहित होनी चाहिए। हालांकि केंद्र ने इच्छा मृत्यु यानी लिविंग विल का विरोध किया है। बता दें कि एक एनजीओ ने लिविंग विल का अधिकार देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उसने सम्मान से मृत्यु को भी व्यक्ति का अधिकार बताया था।
 
क्या है लिविंग विल
 
- लिविंग विल में कोई भी व्यक्ति जीवित रहते वसीयत कर सकता है कि लाइलाज बीमारी से ग्रस्त होकर मृत्यु शैय्या पर पहुंचने पर शरीर को जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए।
 
- ‘लिविंग विल’ एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए।
 
- ‘पैसिव यूथेनेशिया’ यानि इच्छामृत्यु वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है।
 
- केंद्र ने कहा अगर कोई लिविंग विल करता भी है तो भी मेडिकल बोर्ड की राय के आधार पर ही जीवन रक्षक उपकरण हटाए जाएंगे।
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