राष्ट्रीय
कानूनी मध्यस्थता का बड़ा हब बनेगा भारत, होगा मध्यस्थता परिषद का गठन
By Deshwani | Publish Date: 9/3/2018 11:08:07 AMनई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कानूनी मध्यस्थता पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि कानूनी मध्यस्थता के लिए भारत को दूसरे देशों की ओर नहीं भागना होगा। आने वाले दिनों में कानूनी मध्यस्थता के क्षेत्र में भारत एक बड़े हब के रूप में स्थापित होगा। सरकार ने यह फैसला इस क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए लिया है। राष्ट्रीय स्तर पर एक मध्यस्थता परिषद का गठन किया जाएगा। यह परिषद मध्यस्थता संस्थानों की गुणवत्ता और रैंकिंग देने का काम करेगी। इस वक्त लंदन और सिंगापुर मध्यस्थता का सबसे बड़ा हब माने जाते हैं।
प्रसाद ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संसद के इसी सत्र में सरकार मध्यस्थता कानून में बदलाव को लेकर एक विधेयक ला रही है। इस बिल के तहत मेडिकल काउंसिल की तर्ज पर एक मध्यस्थता परिषद का गठन किया जाएगा। जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज होंगे। इसके अतिरिक्त कानूनी क्षेत्र के दो सदस्यों सहित छह लोगों की एक टीम होगी।
बता दें कि मौजूदा वक्त में देश में कुल 36 मध्यस्थता संस्थान हैं। नए बदलाव के बाद हर अदालत के पास मध्यस्थता करने वाले संस्थानों की एक सूची मौजूद रहेगी। जिसका चुनाव रैकिंग के आधार पर होगा। प्रसाद ने कहा कि देश में कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों को रोजगार की संभावनाओं का एक बहुत बड़ा क्षेत्र होगा।
केंद्रीय मंत्री ने हाईकोर्ट को दिए निर्देश के अनुसार बताया कि बिहार, मध्य प्रदेश सहित देश के करीब 14 राज्यों में कानूनी मध्यस्थता का कोई विकल्प नहीं है, तब तक इन राज्यों के हाईकोर्ट से कहा गया है कि जब तक नया मध्यस्थता कानून नहीं बन जाता, वह अस्थाई तौर पर एक मध्यस्थता कमेटी का गठन किया जाए।