ब्रेन ड्रेन रोकने के लिए केंद्र सरकार ने शुरू की प्रधानमंत्री रिसर्च फैलोशिप योजना
नई दिल्ली । विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले मेधावी छात्रों को देश में रोकने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री रिसर्च फैलोशिप योजना (पीएमआरएफ) की शुरूआत की है। इसके तहत एक हजार बी-टेक,एम-टेक छात्रों को 70 से 80 हजार रूपये प्रति माह की फैलोशिप दी जाएगी। इसके अलावा इन्हें सीधे आईआईटी व आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम में सीधा प्रवेश दिया जाएगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भारत में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि इस योजना प्रतिभाशाली छात्रों को देश में रहकर शोध के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि प्रतिवर्ष 4-5 लाख छात्र शिक्षा के लिए विदेशों में जाते हैं। इनमें से 10 हजार उच्च शिक्षा के लिए 3-4 हजार छात्रों को विदेश की सरकारें अध्ययन के लिए छात्रवृति व अन्य सुविधाएं प्रदान करती हैं। हमारा लक्ष्य इन्हीं मेधावी छात्रों को देश में ही विदेश में उपलब्ध कराए जाने वाले सुविधाओं को मुहैया कराना है, जिससे कि ब्रेन ड्रेन की घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पीएमआरएफ देश को आगे ले जाने में सहायक होगी।
जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2018-19 के बजट में घोषित प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) योजना को बुधवार को मंजूरी दी थी। पीएमआरएफ योजना शैक्षणिक सत्र 2018-19 से शुरू होगी और अगले सात सालों में 1650 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सरकार का मानना है कि नवाचार से विकास की अवधारणा पर आधारित योजना से देश में शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत आईआईएससी/ आईआईटी /एनआईटी / आईआईएसईआर/ आईआईआईटी से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषयों में बी.टेक.अथवा समेकित एम.टेक. अथवा एमएससी पास करने वाले अथवा अंतिम वर्ष के सर्वश्रेष्ठ छात्रों को आईआईटी/ आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम में सीधा प्रवेश दिया जाएगा। ऐसे छात्र जो पात्रता मानदंड पूरा करते हैं और जिन्हें पीएमआरएफ दिशा निर्देशों में निर्धारित चयन प्रक्रिया के जरिए छांटा गया है, को पहले 2 वर्षों के लिए 70 हजार रुपये प्रति माह, तीसरे वर्ष के लिए 75 हजार रुपये प्रति माह तथा चौथे और 5वें वर्ष में 80 हजार रुपए प्रति माह की फेलोशिप प्रदान की जाएगी। इसके अलावा प्रत्येक अध्येता को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए उनकी विदेश यात्रा से संबंधित खर्च को पूरा करने के लिए 5 वर्ष की अवधि के लिए 2 लाख रूपये का शोध अनुदान दिया जाएगा। वर्ष 2018-19 की अविध से प्रारंभ 3 वर्ष में अधिकतम 3 हजार शोधार्थियों का चयन किया जाएगा।
यह योजना विज्ञान और प्रौदयोगिकी के अग्रणी क्षेत्रों में स्वदेशी रूप से शोध करने के लिए देश में उपलब्ध प्रतिभा के दोहन में सहायक होगी। इस योजना के तहत शोध एक ओर हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता को हल करेगा और दूसरी ओर देश की प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं में गुणवत्तापरक संकाय की कमी दूर करेगा।