नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य पार्टी नेताओं पर आरोप लगाया कि वे राफेल युद्ध विमान की खरीद को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं।
श्री जेटली ने आम बजट पर लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी सरकार दी है। मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है लेकिन फिर भी कांग्रेस पार्टी आरोप गढ़ रही है।
राफेल खरीद सौदे के बारे में गोपनीयता उपबंध के बारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर हर हथियार खरीद सौदे में गोपनीयता का उपबंध होता है। मनमोहन सरकार के दौरान हुए हथियार खरीद सौदों के बारे में जब सदन में सदस्यों ने प्रश्न पूछकर जानकारी हासिल करने का प्रयास किया था तब तत्कालीन रक्षामंत्री प्रणव मुखर्जी और एके एंटनी ने यही उत्तर दिया था कि व्यापक राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर खरीद का ब्यौरा नहीं दिया जा सकता।
वित्तमंत्री ने कहा कि गोपनीयता उपबंध इसलिए शामिल किया जाता है कि खरीद सौदों का ब्यौरा दिए जाने के स्थिति में दुश्मन देश को किसी हथियार प्रणाली की मारक क्षमता का पता चल जाता है।
कांग्रेस के शशि थरुर ने श्री जेटली से कहा कि वह खरीद सौदे की धनराशि का ब्यौरा नहीं मांग रहे हैं। इस पर श्री जेटली ने कहा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भी यही राय है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था की निराशाजनक तस्वीर पेश करने के लिए कांग्रेस की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार ने वर्ष 2004 से 2014 तक अपने दस वर्ष के कार्यकाल में एक भी ढांचागत सुधार नहीं किया। मोदी सरकार ने ढांचागत सुधार करने का साहस दिखाया और आधार एवं वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू किया गया। उन्होंने कहा कि ढांचागत सुधारों के कारण देश की आर्थिक वृद्धि 0.4 प्रतिशत कम हुई है| फिर भी भारत चीन से बहुत कम अंतर से दूसरी सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि अगले वित्तीय वर्ष में भारत फिर पहले स्थान पर आ जाएगा। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को भी खारिज किया कि मोदी सरकार ने वित्तीय अनुशासन की अवहेलना की है औऱ देश में मुद्रा स्फीति बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार के दौरान वित्तीय घाटा 6 प्रतिशत था जो आज 3.5 प्रतिशत है। इसे और कम कर 3.2 प्रतिशत करने का प्रयास है। इसी तरह मनमोहन सरकार के दौरान मुद्रा स्फीति की दर दहाई संख्या में पहुंच गई थी जबकि मोदी सरकार के दौरान यह 4 प्रतिशत के आसपास रही।
वित्तमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस सदस्यों के इन आरोंपों को भी बेबुनियाद बताया कि जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया गया। उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक बाध्यता थी कि जीएसटी सितंबर 2017 तक अवश्य लागू कर दिया जाए। यदि ऐसा नहीं होता तो देश में कोई कर प्रणाली मौजूद ही नहीं रहती और अराजकता की स्थिति पैदा हो जाती।