मुजफ्फरपुर, (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने ग्राम्य विकास के देशी मॉडल पर चर्चा करते हुए बुधवार को राष्ट्र निर्माण के अभियान को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी किसानों को सौंपी।
बिहार, झारखण्ड के सभी 24 विभागों के 58 जिलों से चयनित किसान कार्यकर्ताओं की शहर के सदातपुर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर सह भारती शिक्षण संस्थान में आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में किसानों की अहम भूमिका है। किसानों एवं गांव की समस्याओं तथा उनके समाधान पर विचार विमर्श करते हुए उन्होंने जैविक खेती के महत्व और उसकी उपयोगिता को बताया। किसानों से जैविक खेती अपनाने की अपील करते हुए उन्होंने ग्राम विकास के लिये किसानों का मार्गदर्शन किया।
सरसंघचालक भागवत ने बताया कि जिन लोगों ने रासायनिक खेती करके अपनी भूमि को मात्र 400 वर्षों में बंजर बना दिया, वे भी अब जैविक खेती का विचार कर उस तरफ मुड़ने लगे हैं। उन्होंने कहा कि भारत पिछले हजारों वर्षों से जैविक खेती करते हुए आज भी अपनी जमीन की उर्वरा शक्ति बचाये हुए हैं। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे लोग भी जैविक खेती को अपनाकर खेती का लागत मूल्य घटायें और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं।
सरसंघचालक ने गांव की समस्या का समाधान गांव के लोगों द्वारा ही करने पर बल दिया। बैठक में उन्होंने किसान स्वयंसेवकों द्वारा ग्राम विकास के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्वावलंबी एवं सामर्थ्य संपन्न समाज खड़ा हो रहा है।
सरसंघचालक ने बताया कि संघ की 40 हजार से अधिक शाखाएं गाँव में चल रही हैं। उन्होंने अधिक से अधिक किसानों को संघ के साथ जोड़ने का आह्वान करते शाखा के माध्यम से गाँव में ग्राम विकास का कार्य आरम्भ करने को कहा। गाँव की उन्नति के लिए गाँव की एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि भेदभावमुक्त समाज का निर्माण करना ही संघ का उद्देश्य है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पूरे देश में स्वयंसेवकों के प्रयास से समाज के आधार पर 318 ग्रामों में ग्राम विकास का उल्लेखनीय कार्य किया गया है।
बैठक में उत्तर पूर्व क्षेत्र संघचालक सिद्धीनाथ सिंह, उत्तर बिहार संघचालक विजय जायसवाल और दक्षिण बिहार सह संघचालक राजकुमार सिन्हा भी उपस्थित थे।