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एआईकेएससीसी का किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 12 से राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ने का ऐलान
By Deshwani | Publish Date: 7/2/2018 11:04:43 AM
एआईकेएससीसी का किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 12 से राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ने का ऐलान

नई दिल्ली। समिति ने वित्त मंत्री की घोषणाओं को सफेद झूठ एवं महज चुनावी शिगूफा बताया है, जिसका पर्दाफाश गांव-गांव में किया जाएगा तथा किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति और किसानों को लागत से डेढ़ गुना दाम दिलाने तथा केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 12 फरवरी से 19 फरवरी के बीच राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा। 
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आरोप लगाते हुए कहा कि कृषि संकट से किसानों को उबारने के लिए किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति को लेकर बजट में तो कोई प्रावधान किया ही नहीं गया है। यहां तक कि वित्त मंत्री ने किसानों की आत्महत्याओं को रोकने का उल्लेख तक करने की आवश्यकता नहीं समझी है। देश की आबादी के 65 प्रतिशत किसानों को केवल 2.36 प्रतिशत बजट उपलब्ध कराने तथा लागत से डेढ़ गुना दाम देने की घोषणा के साथ आवश्यक बजट उपलब्ध न कराने, दामों की स्थिरिता के लिए बाजार में हस्तक्षेप हेतु गत वर्ष आवंटित 950 करोड़ की राशि को घटाकर 200 करोड़ किये जाने, भण्डारण, किसान पेंशन, प्राकृतिक आपदा, लागत कम करने (बीज, खाद, कीटनाशक, डीजल, पेट्रोल, बिजली, कृषि उपकरण), जलवायु परिवर्तन के लिए आवश्यक राशि आवंटित नहीं किये जाने से स्पष्ट हो गया है कि किसानों के साथ अन्याय, उपेक्षा और भेदभाव जारी है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आमदनी दुगुनी करने का वायदा मात्र जुमला बनकर रह गया है। फसल बीमा के लिए आवंटित राशि, बीमा कंपनियों को लाभ देने के लिए ही आवंटित की गई है, किसानों के लिए नहीं।
समिति ने कहा कि एनडीए ने 2014 के चुनाव में लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सरकार बाकायदा शपथपत्र देकर फरवरी 2015 में पलट गयी। कृषि मंत्री ने इस आशय का बयान जुलाई 2017 में संसद में भी दिया। गत 4 वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में की जाने वाली औसत बढ़ोतरी से भी कम बढ़ोतरी की गई। राज्य सरकार द्वारा लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को की गई लागत की कीमत संबंधी अनुशंसाओं में 30 से 50 प्रतिशत तक कटौती की गई। ऐसे समय में जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किसानों को नहीं मिल रहा है तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आंकलन के मुताबिक केवल खरीफ (2017) में न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा बाजार मूल्य के बीच 32,700 करोड़ रुपए का अंतर पाया गया है, जिसे हम किसानों की लूट मानते हैं। बाजार के दाम और समर्थन मूल्य के अंतर को पाटने के लिए बाजार में हस्तक्षेप हेतु हजारों करोड़ के बजट की आवश्यकता थी लेकिन सरकार द्वारा यह राशि 950 करोड़ रुपए से घटाकर 200 करोड़ रुपए कर दी गयी है। सरकार ने बजट में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की राशि 4500 करोड़ रुपए से घटाकर 3600 करोड़ रुपए कर दी है। मनरेगा के लिए 80 हजार करोड़ की आवश्यकता थी लेकिन केवल 54 हजार करोड़ रुपये ही आवंटित किये गये हैं। आपदा राहत फंड में भी कटौती की गई है। 
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 12 फरवरी से 19 फरवरी के बीच देश भर में जनपद एवं तहसील स्तर तक उक्त मुद्दों को लेकर समिति में शामिल सभी संगठनों द्वारा धरना-प्रदर्शन-सम्मेलन-प्रेसवार्ता-आमसभाएं आयोजित करने का ऐलान किया। देशभर में किसान मुक्ति सम्मेलनों के पूरा हो जाने पर बजट सत्र के दौरान संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल एवं किसान (कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी) अधिकार बिल को लेकर संसद में लोकसभा अध्यक्ष को याचिका भी सौंपी जाएगी।
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