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राजीव चंद्रशेखर ने पूर्वोत्तर में पांच एनआईईएलआईटी केंद्रों का किया उद्घाटन
By Deshwani | Publish Date: 7/5/2022 12:15:05 AM
राजीव चंद्रशेखर ने पूर्वोत्तर में पांच एनआईईएलआईटी केंद्रों का किया उद्घाटन

दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता एवं कौशल विकास राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने पूर्वोत्तर के शिक्षित युवाओं में कौशल बढ़ाने के लिए क्षेत्र में पांच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी (एनआईईएलआईटी) केंद्रों का उद्घाटन किया। एनआईईएलआईटी के ये पांच केंद्र डिब्रूगढ़, दीमापुर, जोरहाट, पासीघाट और सेनापति में हैं।


 

 

केंद्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर के अपने दौरे के तीसरे और अंतिम दिन आज दीमापुर में हुए कार्यक्रम में इन केंद्रों का शुभारम्भ करते हुए कहा, “यह हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का पूर्वोत्तर को देश के दूसरे विकसित क्षेत्रों के समान बनाने से जुड़े दृढ़ विश्वास का ही परिणाम है।”




अपनी पिछली यात्रा का स्मरण करते हुए राज्य मंत्री ने कहा, “सात महीने पहले हुई मेरी यात्रा के समय सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई), कोहिमा में सिर्फ एक उद्यमी था। अब एसटीपीआई कोहिमा में कई उद्यमी मौजूद हैं। यह नगालैंड के भविष्य और पूर्वोत्तर के भविष्य का प्रतीक या संकेत है।”





उन्होंने कहा, जब प्रधानमंत्री ने 2014 में डिजिटल इंडिया का शुभारम्भ किया था तो उनके पास तीन उद्देश्य थे। पहला प्रौद्योगिकी के उपयोग से सामान्य नागरिकों की जिंदगी में बदलाव लाना, फिर शासन और लोकतंत्र में सुधार लाना और दूसरा, हमारे युवाओं के लिए ज्यादा अवसर पैदा करना, हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था और निवेश को गति देना। तीसरा उद्देश्य, भारत में वैश्विक नेतृत्व की क्षमताएं विकसित करना था।





केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारी जिंदगियों और हमारे शासन में बदलाव के लिए प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल में काफी प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि हमने दिखाया है कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से सरकार और शासन कैसे “बिना किसी भ्रष्टाचार, बिना किसी लीकेज, बिना किसी देरी के” एक-एक रुपया सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचाया जाता है।




ज्यादा अवसर पैदा करने के दूसरे उद्देश्य पर उन्होंने कहा कि बीते दो साल से यह स्पष्ट है कि अगर प्रौद्योगिकी नहीं होती तो हम विभिन्न प्रतिक्रिया देने से काफी दूर रहते तथा कहीं ज्यादा जिंदगियों और आजीविकाओं का उससे भी ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ होता।
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