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अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा शुरू, श्रद्धालुओं की सरयू में स्नान करने के लिए उमड़ी भीड़
By Deshwani | Publish Date: 5/11/2019 1:22:01 PM
अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा शुरू, श्रद्धालुओं की सरयू में स्नान करने के लिए उमड़ी भीड़

अयोध्या। रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा की मंगलवार को सख्त सुरक्षा प्रबंध के बीच विधिवत शुरुआत हो गयी। ये परिक्रमा बुधवार को प्रातः काल 8 बजे समाप्त होगी। मंगलवार को पूरे दिन और रात को परिक्रमा चलेगी। सरयू तट पर स्नान के साथ परिक्रमा जिस स्थान से शुरु होती है, उसी स्थान पर समाप्त भी करते हैं। श्रद्धालु परिक्रमा की शुरुआत नयाघाट पर सरयू नदी के तट पर स्नान के साथ शुरू कर वहीं पर समाप्त करते हैं।

पूरे परिक्रमा क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है। रामनगरी में प्रतिवर्ष कार्तिक मास में नवमी तिथि को चौदह कोसी परिक्रमा होती है। अयोध्या में मुख्य तौर से तीन प्रकार की परिक्रमा होती है। पहली 84 कोसी, दूसरी 14 कोसी और तीसरा 5 कोसी परिक्रमा। एक कोस में तीन किलोमीटर होते हैं। अयोध्या की सीमा तीन भागों में बंटी है। इसमें 84 कोस में अवध क्षेत्र, 14 कोस में अयोध्या नगर और 5 कोस में अयोध्या का क्षेत्र आता है। इसलिए तीन परिक्रमा की जाती है। इनमें से 84 कोसी परिक्रमा में साधू-संत हिस्सा लेते हैं, तो 14 कोसी और 5 कोसी परिक्रमा में आम लोग श्रद्धालु शामिल होते हैं।

इस परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य हिन्दू धर्म के मुताबिक जीवात्मा 84 लाख योनियों में भ्रमण करती है। ऐसे में जन्म जन्मांतर में अनेक पाप भी किए होते हैं। इन पापों को नष्ट करने के लिए परिक्रमा की जाती है। कहा जाता है कि परिक्रमा में पग-पग पर पाप नष्ट होते हैं। 14 कोसी परिक्रमा का महत्व कार्तिक माह में 14 कोसी परिक्रमा वर्ष में एक बार होती है। मान्यताओं के मुताबिक बड़ी परिक्रमा अर्थात चौदह कोसी परिक्रमा का सीधा सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से है।

मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक परिक्रमा के दौरान भगवान विष्णु का देवोथान होता है। इस वजह से इस दौरान किए गए काम का क्षरण नहीं होता। श्रद्धालु अगर मन से परिक्रमा में हिस्सा लें तो उसका फल उन्हें अवश्य मिलता है। किंवदंतियों के अनुसार श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अपने को जोड़ते हुए अयोध्यावासियों ने हर साल एक कोसी परिक्रमा कर चौदह वर्ष के लिये चौदह कोस परिक्रमा पूरी की। इसके आधार पर यह परम्परा बन गयी। 5 कोसी परिक्रमा का महत्व हर वर्ष देवोत्थानी एकादशी तिथि को 5 कोसी परिक्रमा का विधान है। वैसे तो अयोध्या क्षेत्र में यह परिक्रमा हर एकादशी को होती है, जिसे साधु संतों द्वारा किया जाता है। इस तरह से हर महीने में दो बार ये परिक्रमा होती है। भगवान को समर्पित परिक्रमा पापों को नष्ट करती है।

अपर जिलाधिकारी नगर डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि परिक्रमा को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये हैं। परिक्रमा पथ को चौदह लेन व सेक्टरों में बांटकर जोनल मजिस्टेट्रों की तैनाती की गयी है। इस मेले में आठ कम्पनी पैरा मिलेट्री फोर्स, पांच एएसपी, अठारह डीएसपी और चार सौ आरक्षी सहित कई कम्पनियां पीएसी व आरएएफ के जवान के साथ पुलिस बल को तैनात किये गये हैं।

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