महिलाएं शारीरिक रूप से मर्दों से कमजोर मानी जाती हैं। ज्यादातर औरतें गंभीर बीमारियों का शिकार होती हैं। डायबिटीज,गठिया, कैल्शियम का कमी,विटामिन डी की कमी,तनाव आदि ऐसे बहुत से रोग हैं जिनमें महिलाओं की गिनती पुरुषों से ज्यादा होती हैं। कई बार परिवार की देखभाल करते हुए वे अपने स्वास्थ्य और खान-पान की तरफ ध्यान नहीं दे पाती। जिससे धीरे-धीरे शारीरिक कमजोरी आने लगती है और इसी कारण शरीर में सेहत से जुड़ी बहुत सी दिक्कतें आनी शुरू हो जाती हैं। ये बीमारिया ज्यादातर मेनोपॉज के बाद होती हैं।
स्तन कैंसर वैसे तो पुरुषों को भी हो सकता है लेकिन ज्यादातक महिलाएं इसका शिकार हो जाती हैं। 25 साल से लेकर 55 साल की उम्र की महिलाएं इसकी चपेट में आ सकती हैं। सही समय पर इस बीमारी का पता न चलने से कैंसर गंभीर रूप भी ले सकता है। शुरू में तो ब्रैस्ट पर गांठे महसूस होती है, इसे नजरअंदाज करने की बजाए जल्द ही जांच करवाना बहुत जरूरी है ताकि सही समय पर इसका इलाज हो सके।
शरीर में जोड़ो का दर्द,एठन और सूजन होने पर गठिया हो जाता है। इसका कारण शारीरिक कमजोरी,एक्सरसाइज न करना,खान-पान में गड़बड़ी आदि हो सकते हैं। महिलाएं गठिया रोग से ज्यादा पीडित होती हैं। इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस रोग भी औरतों में ज्यादा देखा जाता है। इसमें हड्डियों में कमजोरी आ जाती है।
डायबिटीज यानि मधुमेह ज्यादातर महिलाओं में सुनने को मिलती हैं। इस बीमारी में शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। जिससे पेंक्रियाज ग्रंथी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है। इस ग्रंथी से कई तरह से हॉर्मोंस निकलने शुरू हो जाते हैं जो और भी कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं।
महिलाओं में दिल से जुड़ी बीमारियां ज्यादा होती हैं। मानसिक तनाव, मोटापा,जरूरत से ज्यादा काम करना आदि और भी बहुत से कारणों से परेशानी बढ़ने के कारण हार्ट अटैक का खतरा भी ज्यादा होने लगता है।
इसे फाइब्राइड,रसौली या फिर ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। यह महिलाओं में होनी वाली गंभीर बीमारियों में से एक है। आमतौर पर गर्भाशय में रसौली होती है, जिसका कारण पीरियड्स की अनियमित्ता, संक्रमण आदि हो सकते हैं। इसे सर्जरी द्वारा निकाला जा सकता है।
यह भी एक गंभीर रोग है। यह कैंसर महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के बाहरी हिस्से में होता है। यूरीन पास करते समय जलन,खुजली या फिर ब्लीडिंग होना आदि इसके संकेत हो सकते हैं।