मेरठ, (हि.स.)। स्वाइन फ्लू के फैलते प्रकोप के बीच स्वास्थ्य अधिकारी भ्रांति दूर करने के लिए आगे आए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजकुमार ने स्वाइल फ्लू से बचाव उसक लक्षण, फैलने के कारणों व आमजन को इस मौसम में क्या करना चाहिए व क्या नहीं करना चाहिए इस सम्बंध में एक वृहद खाका तैयार किया है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बचाव का बेहतरीन तरीका है, इसलिए हम कुछ बातों पर अमल कर इस बीमारी से स्वयं व अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. राजकुमार ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षणों में बुखार, सांस लेने में तकलीफ, त्वचा या होठो का नीला पड़ना, बलगम में खून आना, व्यं बदलाव आना, सर्दी जुखाम, खांसी, खराब गला, बहती या बंद नाक, सर दर्द, बदन दर्द, अतिसार, उल्टी भी हो सकते है। उन्होंने बताया कि मौसमी फ्लू (पूर्व नाम स्वाइन फ्लू) हवा के संदूषित कणों द्वारा मानव से मानव मे फैलता है और यह सुअरों द्वारा नहीं फैलता है। कुछ असाध्य चिकित्सा अवस्थाओं वाले लोगों, 65 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले बुर्जुगों, 05 वर्ष की आयु से छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को बीमारी का अधिक खतरा होता है।
सीएमओ ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित किये गये अस्पतालों में आवश्यक दवाइयां उपलब्ध है। यदि डाक्टर ने मरीज को घर में रहने की सलाह दी हो तो वह घर पर ही रहे। उन्हें ने बताया कि छोटे बच्चों में यदि उन्हेंबुखार हो, चिड़चिड़ापन हो तरल पदार्थ व भोजन न ले रहे हो तो उन्हेंतुरन्त नजदीकी अस्पताल में दिखायें तथा यदि व्यस्क/किशोर को तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, त्वचा या होठों का नीला पड़ना, बलगम में खून आना, व्यवहार में बदलाव हो तो उन्हेंनिकट के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ले जायें। उन्होंने कहा कि वह इस मौसम में इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
बचाव के उपाय
-छींकते और खांसते वक्त मुंह और नाक को रूमाल या कपड़े से ढके।
- अपने हाथ साबुन और पानी से धोए।
-नाक आंख या मुंह को बार बार न छुए।
-भीड़भाड़ वाली जगह से बचें।
-फ्लू से संक्रमित लोगों से एक हाथ से अधिक की दूरी पर रहे।
-बुखार खांसी और गले की खरास हो तो सार्वजनिक जगहांे से दूर रहे।
-खूब पानी पिए, पौष्टिक आहार लें व पूरी नींद लें।