ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगातदेश की संस्कृति का प्रसार करने वाले सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर को प्रधामंत्री ने संर्जक पुरस्कार से सम्मानित किया'दंगल' फेम सुहानी भटनागर की प्रेयर मीट में पहुंचीं बबीता फोगाट
बिहार
महान शिक्षाविद, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, सनातन संस्कृति के समाजसुधारक तथा आर्य समाजी संन्यासी के बलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि
By Deshwani | Publish Date: 25/12/2021 1:05:36 PM
महान शिक्षाविद, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, सनातन संस्कृति के समाजसुधारक तथा आर्य समाजी संन्यासी के बलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि

बेतिया/अवधेश कुमार शर्मा पश्चिम चम्पारण जिला अंतर्गत नरकटियागंज स्थित हैदराबाद सत्याग्रह दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालय सभागार में आर्य समाज नरकटियागंज ने स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती की 95 वीं पुण्यतिथि मनाया। जिसका शुभारंभ नरकटियागंज विधायक रश्मि वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसके पूर्व आचार्य रामायण शर्मा की अगुवाई में पुरोहित सुधीर कुमार, उत्तम प्रकाश ने देव यज्ञ संपन्न किया। 

 
 
 
 
 
तत्पश्चात मुख्य अतिथि विधायक रश्मि वर्मा ने हैदराबाद सत्याग्रह में नरकटियागंज की धरती से शहीद हुए बलिदानियों के परिजनों को सम्मानित किया। स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती के संबंध में वक्ताओं ने बताया कि उनका मूल नाम मुंशीराम विज रहा। उनका जन्म अविभाजित पंजाब में 22 फरवरी 1856 को हुआ। वे भारत के महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सनातन संस्कृति के समाजसुधारक तथा आर्य समाज के संन्यासी रहे। उन्होंने सनातन समाज के पाखण्डवाद को दूर कर 'हिन्दुओं' के समरस समाज के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष किया।  
 
 
 
 
 
स्वामी पण्डित श्रद्धानन्द सरस्वती समाजसुधारक, अध्यापक, पत्रकार और सच्चे राष्ट्रवादी रहे। अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी युवक ने 23 दिसंबर 1926 को गोलीमार उनकी हत्या कर दी। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय जैसी शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना किया। हिन्दू समाज व भारत को संगठित करने, 1920 के दशक में शुद्धि आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। उनके शुद्धि आंदोलन से प्रभावित होकर डॉ. भीम राव अंबेडकर ने सन 1922 में कहा कि श्रद्धानन्द अछूतों के 'महानतम और सबसे सच्चे हितैषी' हैं। उन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षा 'वेदों की ओर लौटो' का प्रसार किया। वे भारत के उन महान राष्ट्रभक्त सन्यासियों में अग्रणी रहे। 
 
 
 
 
जिन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित किया। उनकी 95 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में विधायक रश्मि वर्मा ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती मानवतावादी राष्ट्रभक्त रहे। उन्होंने पत्रकार, समाजसेवी, अध्यापक और समाजसुधारक की भूमिका का सफल निर्वहन किया। उनकी जीवन गाथा से प्रेरणा लेकर सनातन संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में डीएवी प्रभारी ऋचा कुमारी, आर्य समाज मंदिर के प्रधान कैलाश राउत आर्य, मंत्री सुमन कुमार, कोषाध्यक्ष विजय प्रकाश, पूर्व मंत्री पुजारी प्रसाद आर्य, रामेश्वर प्रसाद आर्य, ओम प्रकाश शास्त्री, लालजी प्रसाद, पुरोहित पण्डित सुधीर कुमार, पण्डित उत्तम प्रकाश, विवेक आर्य, अटल भारती, संगीतज्ञ अनुप सहनी शामिल रहे। उपर्युक्त कार्यक्रम में विद्यार्थियों की भूमिका प्रशंसनीय रही। जिसमें भजन, प्रवचन, मंत्रोच्चारण, खेल-कूद प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS