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गोपाल सिंह ''नेपाली'' का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सदा प्रासंगिक रहेगा, मोतिहारी के एलएनडी कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठि का हुआ आयोजन
By Deshwani | Publish Date: 11/8/2021 11:00:00 PM
गोपाल सिंह ''नेपाली'' का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सदा प्रासंगिक रहेगा, मोतिहारी के एलएनडी कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठि का हुआ आयोजन

डा. कुमार राकेश रंजन

मोतिहारी। शहर में एलएनडी कॉलेज के नवनिर्मित सभागार में आईक्यूएसी के तहत एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) प्रकोष्ठ के सह- संयोजन में बुधवार को हिंदी विभाग की ओर से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया।

संगोष्ठी का विषय था- गोपाल सिंह 'नेपाली' की प्रासंगिकता बीआरएबीयू मुजफ्फरपुर के हिंदी विभाग में पदस्थापित विश्वविद्यालय विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.)सतीश कुमार राय, एमएस काॅलेज प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार व कॉलेज प्राचार्य प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया। हिंदी विभाग की शिवानी, बेबी, गोल्डी एवं साक्षी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कॉलेज प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार ने बुके व प्रतीक चिह्न भेंट कर मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.) सतीश कुमार राय का स्वागत व आतिथ्य किया।


राजनीति विज्ञान विभाग के छात्र
 
पश्चिम चंपारण में बेतिया की बसुंथरा पर 11 अगस्त 1911 को जन्मे चंपारण विभूति कविवर गोपाल बहादुर सिंह/ गोपाल सिंह 'नेपाली' की जयंती के शुभ अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा/साहित्य के मूर्धन्य विद्वान व मुख्य अतिथि प्रो.(डॉ.) सतीश कुमार राय ने इनके जीवनवृत पर विस्तृत प्रकाश डाला।
 
 
उत्तर छायावाद के जिन कवियों ने काव्य और गीत को जनता का कंठहार बनाया, गोपाल सिंह ‘नेपाली’ उनमें अत्यंत महत्वपूर्ण हस्ती थे। 1934 में इनकी कविताओं का प्रथम संग्रह ‘उमंग’ प्रकाशित हुआ। ‘पंछी’ ‘रागिनी’ ‘पंचमी’ ‘नवीन’ और ‘हिमालय ने पुकारा’ इनके काव्य व गीत संग्रह हैं। नवीन के माध्यम से 'नेपाली' ने नए संसार की परिकल्पना की।
 
नेपाली ने सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के साथ ‘सुधा’ मासिक पत्र में और कालांतर में ‘रतलाम टाइम्स’, ‘पुण्य भूमि’ तथा ‘योगी’ के संपादकीय विभाग में काम किया। 1949-56 तक मुंबई प्रवास के दिनों में 'नेपाली' ने फिल्मों के लिए स्वतंत्र रूप से गीतों की भी रचना की। 'नेपाली' निर्माता-निर्देशक के तौर पर तीन फिल्मों- नजराना, सनसनी और खुशबू का निर्माण भी किया। 1962 के भारत-चीन युद्ध में कविताओं के माध्यम से नेपाली जी की क्रांतिकारी ललकार राष्ट्रप्रेम की अद्भुत पहचान रही है।

न शीश झुकाएंगे, न फरियाद करेंगे।
जो हमसे लड़ेगा, उसे बर्बाद करेंगे।।

 
ये लोक संवेदना एवं लोकोत्सव के कवि थे। इनकी कविताओं से देशभक्ति एवं प्रकृति प्रेम का अनुपम संदेश प्रवाहित होता है। असमय काल कवलित होने के बावजूद गोपाल सिंह नेपाली की रचनाएं आज भी मानवीय जीवन से प्रत्यक्ष संवाद कर रही है। आज भी नेपाली जी के फिल्मी गीतों को बहुत पसंद किया जाता है। इनकी प्रस्तुति से सभागार दर्शकों की करतल ध्वनि से गुंजायमान हो उठा।

कार्यक्रम के संरक्षक व प्राचार्य प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए उपस्थित प्रतिभागियों को पूरे मनोयोग से चंपारण विभूति गोपाल सिंह 'नेपाली' के व्यक्तित्व व कृतित्वों से सीख लेने पर इसे प्रासंगिक बनाने पर जोर दिया।

सभागार की उपस्थिति
 
एमएस काॅलेज प्राचार्य व हिंदी के सुप्रसिद्ध विद्वान प्रो.अरुण कुमार ने अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान में गोपाल सिंह 'नेपाली' को प्रेम, सौंदर्य, प्रकृति और राष्ट्रप्रेमी कवि रेखांकित किया। उन्होंने अपनी मेधा से उर्दू मंचों के बरक्स हिंदी मंच को स्थापित किया। आज जब चीन डोकलाम व गलबान में एक बार फिर आँखे तरेर रहा है तो ऐसी स्थिति में कविवर 'नेपाली' की  प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। 

इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ.सुबोध कुमार ने भी गोपाल सिंह 'नेपाली' पर आलेख पठन करते हुए इनकी संवेदना, देशप्रेम व क्रांतिकारी छवि से अवगत कराया।

आयोजन सचिव-सह-हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधे श्याम ने पाॅवर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण द्वारा इस संगोष्ठी का विषय प्रवेश कराते हुए चंपारण विभूति गोपाल सिंह 'नेपाली' के व्यक्तित्व व कृतित्व पर सारगर्भित प्रस्तुति दी। इन्होंने नेपाली जी को 'राग' एवं 'आग' का कवि विभूषित किया। इन्होंने नेपाली जी द्वारा रचित कविता 'भाई-बहन' का सस्वर पठन करते हुए श्रोताओं का दिल जीत लिया।

मीडिया प्रभारी डॉ.कुमार राकेश रंजन के सूत्रों से कार्यक्रम के अंत में कॉलेज प्राचार्य प्रो.अरुण कुमार द्वारा विभागीय जांच परीक्षा तथा कविता पाठ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय रैंकर को पुरस्कृत किया गया। हिंदी विभाग की विभागीय जाँच परीक्षा में ऋचा कुमारी को प्रथम स्थान, शिवानी कुमारी व गोल्डी शर्मा को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान व अमन कुमार को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
 
सरस्वती वंदना करती छात्राएँ
 
कविता पठन में शिवानी कुमारी ने प्रथम रैंक, आशीष कुमार ने द्वितीय रैंक व गोल्डी शर्मा ने तृतीय रैंक हासिल कर अपनी रचनात्मक प्रतिभा का लोहा मनवाया। अंत में अतिथियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधे श्याम ने एंकरिंग तथा हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक प्रो.जयपाल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
 
मौके पर डॉ.एसकेएस महिला महाविद्यालय से हिंदी की सहायक प्राध्यापिका प्रो.रोशनी विश्वकर्मा, एसएनएस कॉलेज से हिंदी के सहायक प्राध्यापक प्रो. वरुण कुमार ठाकुर, महाराजा हरेंद्र किशोर इंटर कॉलेज से अध्यापिका डॉ.अणिमा अनुरागिनी, कॉलेज प्राध्यापकों की ओर से भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ.पिनाकी लाहा, बीसीए समन्वयक डॉ.सर्वेश दुबे, भूगोल अध्यक्ष प्रो.राकेश रंजन कुमार, वनस्पति विज्ञान अध्यक्ष प्रो.अरविंद कुमार, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ.जौवाद हुसैन, बीएड विभागाध्यक्ष डॉ.परमानंद त्रिपाठी, जंतु विज्ञान सहायक प्राध्यापक डाॅ.नीरज कुमार, शिक्षकेतर कर्मियों की ओर से प्रधान सहायक राजीव कुमार, मुन्ना कुमार सहित सभी कर्मी तथा प्रतिभागियों की ओर से सौरभ शिखर, प्रिंस, प्रभात, सुमन, अंजलि, आराध्या, रेशमी, हेमा, अमन इत्यादि शामिल थे।
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