मोतिहारी। शहर में नगर थाने की बगल में स्थित बेलबनवा में जमीन कब्जा के लिए जो हंगामा हुआ। इससे आमजन के जेहन में यह सवाल कौंध रहा है कि क्या उनकी जमीन पर भू-माफिया की नजर हो तो क्या उसे प्रशासन भी नहीं बचा सकता?
इसके जवाब में कानून के जानकारों का कहना है कि भू-माफियों कितना भी मजबूत क्यों न हो। वह आपकी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। वह सिर्फ आपकी जमीन पर अवैध निर्माण करा सकता है। इससे क्या उसका मालिका हक हो जाएगा?
दरअसल किसी जमीन पर जब भू-माफियों की नजर पड़ती है तो सज्जन टाइप जमीन मालिक ही भूफियों के दबाव में उससे समझौता कर लेते हैं। फिर उसे ही रजिस्ट्री कर देते हैं।
हालांकि बेलबनवा स्थित जमीन पर जो हंगामा हुआ उसकी बस्तुस्थिति दूसरी थी। उस जमीन पर दो पक्ष अपना-अपना अधिकार बता रहे हैं। जबकि मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। दो माह पूर्व भी कथित माफियाओं ने जमीन को कब्जा करने का प्रयास किया परंतु तब भी वे लोग असफल रहे एवं मामले मे पुलिस ने जमीन पर धारा 144 धारा लागू कर दिया।
एक पक्ष का कहना है कि जमीन पर दर्जनों लोग ने धावा बोला औेर जबरन चाहरदिवारी का निर्माण करने लगे। हालांकि बाद मे पुलिस के वरीय पदाधिकारी के आदेश पर पुलिस घटना स्थल पर पहुंची। तब जाकर भू-माफियाओं की फौज मैदान छोड़ कर भाग सकी और दूसरे पक्ष के लोगों ने निर्माणाधीन चाहारदीवारी को तोड़ डाला।
बृहस्पतिवार को नगर थाने से महज कुछ कदम की दूरी पर तकरीबन तीन सौ की संख्या मे भूमि कारोबारी तकरीबन 9 कट्ठा जमीन पर बल पूर्वक चाहारदीवारी करने लगे। उक्त जमीन सहित कुल 28 कट्ठा जमीन पर उच्च न्यायालय ने किसी तरह के निर्माण कार्य करने एवं बिक्री पर रोक लगा दी थी।
एक पक्ष का आरोप है कि इस मामले में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं की। वहीं पुलिस का कहना है कि निर्माण कार्य करवाने वाले व्यक्ति का दावा था कि चाहरदिवारी वाली भूमि मुकदमे वाली भूमि से अलग है। मामले मे कोई पक्षपात नहीं किया गया है। पुलिस पर लगने वाले सारे आरोप बेबुनियाद है। मामले मे कोई आवेदन नहीं आया है, आवेदन मिलने पर कार्रवाई कि जाएगी।
वहीं मामले मे बताया गया कि पूर्व मे इस जमीन पर किशोर मिश्रा एवं स्व. लक्ष्मीकान्त प्रसाद के बीच 1964-65 से दीवानी बाद चल रहा था, जिसमे स्व. लक्ष्मी प्रसाद पक्ष की जीत निचली अदालत से हो गयी थी। जिसको उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी थी।
बाद में दोनों पक्षों ने 13 कट्ठा एवं 15 कट्ठा के हिसाब से आपस मे समझौता कर लिया, इसी बीच एक तीसरा पक्ष अशोक मिश्रा ने उच्च न्यायालय मे मुकदमे मे इंटरवेनर बनने का प्रयास किया। लेकिन न्यायालय ने यह कहते हुये मनोज मिश्रा का आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया कि लोअर कोर्ट मे मनोज मिश्रा को भी पार्टी बनाया गया था। लेकिन वे मुकंदमे मे अपना पक्ष रखने को लेकर इक्छूक नहीं दिखे।
लॉकडाउन में कोर्ट की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है। दो माह पूर्व भी कथित माफियाओं ने जमीन को कब्जा करने का प्रयास किया परंतु तब भी वे लोग असफल रहे एवं मामले मे पुलिस ने जमीन पर धारा 144 धारा लागू कर दिया।
मामले में एक पक्ष से जुड़े सिविल के वरीय अधिवक्ता ने कहा कि प्रथम अपील मे उनके क्लाइंट की जीत निचली अदालत से हुई थी। जिसका अपील उच्च न्यायालय मे एक पक्ष ने किया है, जबकि वर्तमान मे विवाद करने वाला व्यक्ति कही से भी इस भूमि पर अपना कानूनी अधिकार नहीं रखता है।