डुमरियाघाट। सुधांशु कुमार मनीष। आज देश में कोरोना जैसी महामारी से 873 लोग संक्रमित है जबकि 20 मौते हो चुकी है। इस महामारी में सहायता के रूप में करोड़ों रुपये बिहार के सांसद विधायक एवं अन्य ने मुख्यमंत्री राहत कोष मे दिया।
लेकिन पूर्वी चंपारण के डुमरियाघाट थाना क्षेत्र के सरोतर गाँव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली व बिवसता पर अंशु बहा रहा है। पुराने भवन तो खंडहर में तब्दील हो गए। इसमें जब नए भवन का निर्माण हुआ तो लोगो मे कुछ आस जगी परंतु निर्माण के बाद डॉक्टर, कम्पाउंडर, व ड्रेसर आदि के अभाव में वह बिरान पड़ा है। दिन रात यह स्थान आवारा पशुओं व उसके फैलाये गये गंदगी से सोभायमान हो रहा है।
बता दे इस अस्पताल के कुव्यवस्था एवं यहाँ डाक्टरों की तैनाती को लेकर गावं के लोगो ने कई बार आवाज उठाया एवं धरने किये लेकिन स्थिति जस का तस है।
अबतक किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी कि इस पर नजर नहीं गई या कहे वे इसपर ध्यान ही नहीं देना चाहते। इस बंद पड़े अस्पताल की वजह से यहाँ के निवासीयों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है उन्हें इलाज के लिए यहाँ से 13 किलोमीटर दूर केसरिया या 35 किलोमीटर दूर मोतिहारी जाना पड़ता है, जहाँ लोग डॉक्टरों के दोहन का शिकार हो जाते है। इस चिकित्सालय के निर्माण के बाद लोगो ने कितने सपने देखे होंगे परंतु उनकी यह सपना झलक दिखाकर चली गई। समाजसेवी श्रीकांत पाण्डेय ने कहा कि इसके सुधार के लिए प्रखण्ड से जिले व राज्य तक के अधिकारियों व नेताओ से गुहार लगाई परंतु कोई सुधार नही हुआ। वही सेम्भूआपुर के सामजसेवी नीरज तिवारी परफेक्ट ने कहा कि बच्चपन से ही हम लोग ऐसे ही देखते आ रहे है, बहुतो आये और बहुतो गये परंतु ये अस्पताल अपनी बदहाली को ले कर तरसता रहा और सरकारी उपेक्षा का दंश झेलता रहा।
इस अस्पताल को लेकर सरोत्तर एवं सेम्भुआपुर के नवजवानों, बुद्धिजीवियों के द्वारा बार बार आंदोलन भी किया गया जो खबरे सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में रेंगती रही किन्तु स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब आगे देखते है एवं केवल इंतजार करते है न जाने कब किसी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी की इसपर नजर पड़ जाये एवं इसका कल्याण हो जाए। ग्रामीणों ने बताया कि इसमें यदि सुधार नही होता है तो एक टीम बनाकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार मे जाएगी।