सुगौली। शिवेश झा। सुगौली न केवल ईस्ट इंडिया कम्पनी और नेपाल की राणा सल्तनत के बीच भीषण युद्ध के बाद हुई ऐतिहासिक संधि भूमि है,बल्कि यह धरती अठारह सौ संतावन की गदर भूमि और कोकिल विद्यापति की सृजन भूमि भी है। हमें अपने इतिहास को याद रख भविष्य निर्माण की पहल करनी चाहिए। उक्त बातें आज सुगौली के एस पी नायक कालेज के प्रांगण में चल रहे सुगौली महोत्सव के दूसरे दिन मुख्य अतिथि व वरिष्ठ पत्रकार संजय ठाकुर ने सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने सुगौली के इतिहास की विशद चर्चा करते हुए कहा कि 1324 ईस्वी में जब दिल्ली सल्तनत के बादशाह गयासुद्दीन तुगलक ने तिरहुत की राजधानी सिमरौनगढ़ पर कब्जा कर लिया और वहाँ के राजा हरिसिंह देवा को धूल चटा दी तब बेनतुगलक ने एक नये राजपरिवार को जन्म दिया।
उसने राजा हरिसिंह देवा के राज पंडित कामेश्वर ठाकुर को तिरहुत का राजा बनाया। पंडित कामेश्वर ठाकुर ने सुगांव में अपनी राजधानी बनायी। इसे इतिहास में सुगांव डायनेस्टी के नाम से भी जाना जाता है। कामेश्वर के पर पौत्र देव सिंह के पुत्र शिव सिंह इस वंश के पांचवे राजा बने। इसी महान कला और विद्या प्रेमी तिरहुत के महान राजा शिव सिंह के दरबार में कोकिल विद्यापति संरक्षित थे जिनकी रचनाएँ न केवल श्रृंगार रस वल्कि भक्ति रस की पराकाष्ठा है।
सुगौली प्रखण्ड के सुगांव डीह में आज भी खण्डहर और विखरे अवशेष तिरहुत की राजधानी की गाथा कह रहा है। यह भूमि ईस्ट इंडिया कम्पनी और नेपाल की राणा सल्तनत के बीच हुए ऐतिहासिक संधि का भी चश्मदीद है। 1816 ईस्वी में बेतिया के महाराज आनंद किशोर के अथक प्रयासों से युद्ध विराम हुआ था और यह सुगौली संधि हुई थी। श्री ठाकुर ने कहा कि जब लक्ष्मी बाई और मंगल पांडे की नंगी तलवारें फिरंगियों की गर्दन रेत रही थी तब यहाँ बारह ईरेगुलर कैवलरी फोर्स ने विद्रोह कर दिया और 9 अंग्रेज अधिकारियों और उनके परिजनों को मौत के घाट उतार वंदेमातरम के गीत गाते बाबू वीर कुंवर सिंह की टोली में जा मिले।
उन्होंने इस आयोजन के लिए डी के आजाद और उनकी टीम को बधाइयाँ दी और लोगों को अपने इतिहास को जानने की अपील की। महोत्सव की अध्यक्षता धर्मेन्द्र कुमार नायक ने की जबकि स्वागत भाषण रालोसपा के वरिष्ठ नेता संत सिंह कुशवाहा ने किया। सभा में समाजसेवी नुरूल होदा कुरैशी, महमद नूरैन, पूर्व मंत्री विजय प्रसाद गुप्ता, रेयाजुल हक मुन्ना, सुरेश ठाकुर, दीपक मिश्रा, राम किशन यादव , मिडिया प्रभारी ई०एकरामुल हक, चन्द्रभान सिंह, प्रभाकर झा आदि मौजूद थे। मंच संचालन महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष डी के आजाद ने किया।