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मोतिहारी
गरीब मरीज के लिए वरदान साबित हुआ लक्ष्मीपुर के एसआरपी मेमोरियल ट्रस्ट हॉस्पिटल
By Deshwani | Publish Date: 17/11/2019 7:22:01 PM
गरीब मरीज के लिए वरदान साबित हुआ लक्ष्मीपुर के एसआरपी मेमोरियल ट्रस्ट हॉस्पिटल

फ़ोटो-सफल ऑपरेशन के बाद डॉक्टर के साथ स्वस्थ्य मरीज।

रक्सौल।अनिल कुमार। शहर के लक्ष्मीपुर स्थित एसआरपी मेमोरियल ट्रस्ट हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. सुजीत के द्वारा एक ऐसे महिला मरीज का ऑपरेशन किया गया। जिसकी मां अपनी पुत्री के जीने की आस छोड़ चुकी थी। जब वह हॉस्पिटल पहुँची तो बिल्कुल बेहोश थी। डॉ. सुजीत के अनुसार महिला का रक्तचाप 60 हो चुका था। उसे जल्द ऑपरेशन की जरूरत थी। भर्ती के समय उसने महज 10 हजार रुपये जमा कराए, जबकि ढाई से तीन लाख रुपये की जरूरत थी। फिर भी आनन-फानन में उसे आईसीयू में रख 4 घंटे के अंदर खुद से ब्लड की व्यवस्था कर उसका ऑपरेशन शुरू किया गया।

पेट खोलने पर उसके आँत 4-5 जगह फूटे हुए थे। पेट में चारो तरफ लगभग 3 लीटर मल फैला हुआ था। तुरंत उसके बड़ी आंत को जोड़ा गया व छोटी आँत  बाहर किया गया। ऑपरेशन सफल रहा। अब मरीज बिल्कुल ठीक है। लेकिन जब पता चला कि मरीज के परिजन बिल की उतनी बड़ी राशि चुकाने में अक्षम है तो ट्रस्ट के माध्यम से उसके बाकी के खर्च का भरपाया किया गया। वहीं उक्त महिला ने खुद का परिचय 27 वर्षीय जेबा खातून के रूप में दिया। जिसने बताया कि उसका मायके नेपाल के बेलदारी में है, जिसके पिता का नाम मोतिन अंसारी है।

जबकि उसकी शादी नकरदेई के सिलाई मास्टर मजीद अंसारी से हुई है। जो विभिन्न कारणों का बहाना बनाकर उसे मारता-पिटता था। एक रात उसने रस्सी से बाँध कर बहुत पीटा। जिसके बाद उसके पेट मे दर्द शुरू हुआ। पति उसके हालात पर छोड़ फरार हो गया। उसके बाद उसके चाचा ससुर ने उसे रक्सौल के डॉ. खुर्शीद आलम के यहाँ भर्ती कराया। जहाँ उसका समुचित ईलाज नही हो पाया। इसी दौरान उसके माता-पिता आये और उसे वहाँ से छुड़ाकर छौड़ादानो के डॉ. बसंत कुमार के यहाँ ले गये। जिसने उसे मोतिहारी रेफर कर दिया। फिर मोतिहारी में 5-6 दिन रहने के बाद चिकित्सक ने कैंसर की बीमारी बताते हुए उसे भरतपुर ले जाने की सलाह दी। पैसों की तंगी से उसके माता-पिता जीने की आश छोड़ उसे घर ले आये।

इसी बीच उसकी हालत और बिगड़ती गई। इस दौरान जेबा के मामा का फोन विदेश से आया और उसने एक बार एसआरपी हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी और कहा कि अब किस्मत जो कराये। आखिरकार जब वह रक्सौल के इस हॉस्पिटल में पहुँची तो उसकी जान बच गयी। तो उसने डॉ. सुजीत को भगवान की उपाधी दे डाली। डॉ. सुजीत ने पीसी में बताया कि महिला के बचने की उम्मीद 1-2 प्रतिशत ही थी, परन्तु सब ठीक रहा। मौके पर डॉ. पीसी माँझी, डॉ. संजय मिश्रा, पवन कुशवाहा, प्रवीण कुमार व समित कुमार आदि उपस्थित थे।।          

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