सरिसवा नदी बचाओ आंदोलन की बैठक डॉ अनिल कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई, नदी के मिटते वजूद पर जताई चिंता
रक्सौल।अनिल कुमार। सरिसवा नदी बचाओ आंदोलन की बैठक काली नगरी स्थित कार्यालय में अध्यक्ष प्रोफ़ेसर डॉ अनिल कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में हुई। जिसमें कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दिन सरिसवा नदी में काला पानी के बहाव को लेकर घोर चिंता व्यक्त की गई।
प्रो. सिन्हा ने कहा कि छठ पर्व के समय एक दिन अगर पानी को साफ किया जा सकता है तो अन्य दिनों के लिए क्यों नहीं? यही सरिसवा नदी है जिसके किनारे सुबह मेला जैसा दृश्य हुआ करता था, दीपदान होता था और आम श्रद्धालु परंपरागत रूप से इसके निर्मल गंगा के समान स्वच्छ जल में आस्था की डुबकी लगाकर अपने को धन्य समझते थे पर आज उसका जल स्पर्श करने लायक भी नहीं रह गया है।
उन्होंने कहा कि रक्सौल वासियों के पितरों को मोक्ष प्रदान करने वाली नदी आज काली, जहरीली असाध्य रोग पैदा करने वाली एवं दुर्गंध युक्त बन चुकी है। बैठक में नेपाल सरकार, उद्योगपतियों, राजनीतिक नेताओं से शीघ्रातिशीघ्र इस नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कारगर उपाय करने की मांग की गई।
प्रोफ़ेसर सिन्हा ने कहा कि दोनों देशों की सरकार क्या मौतों का तांडव देखना चाहती है। लोग रोज कैंसर, लीवर सिरोसिस एवं किडनी फेल से मर रहे हैं एवं कई लोग इस घातक बीमारी से त्रस्त होकर के मौत की प्रतीक्षा कर रहे हैं । यह बहुत ही दुखद है कि नेपाल सरकार एवं भारत सरकार दोनों ही इसके प्रति चिंतनशील नहीं है। बीरगंज महानगरपालिका लाखों टन कूड़ा-कचरा नो मेंस लैंड सरिसवा नदी के किनारे गिराकर भारत भेज रहा है एवं रकसौल नगर परिषद भी वही कार्य कर रहा है। जिलाधिकारी, पूर्वी चंपारण के आश्वासन के बावजूद दोनों के द्वारा कार्य बे रोकटक जारी है। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी के किनारे जहाँ चहल पहल दिखती थी, महिलाओं एवं बच्चों का जमघट दिखाई देता था आज मरघट की वीरानगी दिखाई दे रही है। रक्सौल एवं बीरगंज वासियों के लिए बहुत ही दुःखद एवं चिंतनीय है ।
बैठक में सुरेश कुमार, दुर्गेश साह, प्रो0 चंद्रमा सिंह,प्रो0 सत्येंद्र सिंह, संजय जायसवाल, सुमित कुमार, संतोष कुमार, मनोज श्रीवास्तव, प्रो0 मनीष दूबे, नीरज कुशवाहा, अरुण कुमार आदि उपस्थित थे।