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खांसने व झींकने से फैलती है बीमारी खसरा-रूबेला, 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को जरूरी है टीका- डॉ रमाशंकर
By Deshwani | Publish Date: 12/1/2019 7:32:17 PM
खांसने व झींकने से फैलती है बीमारी खसरा-रूबेला, 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को जरूरी है टीका- डॉ रमाशंकर

पीपराकोठी के मॉडल स्कूल में कार्यशाला में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व शिक्षक। फोटो- देशवाणी।

मोतिहारी। पीपराकोठी। माला सिन्हा।

 खसरा-रूबेला टीकाकरण अभियान की सफलता को लेकर शनिवार को प्रखंड मुख्यालय स्थित मॉडल विद्यालय के सभागार में क्षेत्र के शिक्षकों के साथ दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमाशंकर गुप्ता ने की। इस मौके पर बताया गया कि यह बीमारी खांसने व झींकने से 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में फैलती। 15 जनवरी से इसका टीकाकरण स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्दों सहित स्वास्थ्य केन्द्रों में चलाया जाएगा।


15 जनवरी से चलेगा टीकाकरण अभियान-

 इस अवसर पर शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रभारी डॉ गुप्ता ने कहा कि यह अभियान बिहार में 15 जनवरी से आरंभ हो रहा है। इस टीकाकरण अभियान का उद्देश्य खसरा-रूबेला से मुक्त करना है। इस अभियान की सफलता के लिए आज से ही सभी स्कूलों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। ताकि 15 जनवरी से अभियान आरंभ होते ही बच्चे खुद टीकाकरण के लिए जागरूक हों।
 
 
 बताया कि 9 माह से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चे ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित होते हैं। इस अभियान के प्रथम चरण में  टीकाकरण सभी स्कूलों, सामुदायिक स्तरों, आंगनबाड़ी केंद्रों सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि किसी बच्चे को टीका पहले से लगाई जा चुकी हो तो भी यह उसे टीका लगाना अनिवार्य है।


बीमारी के लक्षण-

डॉ रमाशंकर ने बताया कि भारत सरकार अब खसरा मुक्त भारत के लक्ष्य पर काम कर रही है। इस बीमारी के लक्षण के संबंध में कहा कि यह अत्यधिक संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से यह बीमारी फैलती है। इसमें निमोनिया, डायरिया व दिमागी बुखार होने की आशंका बढ़ जाती है। चेहरे पर गुलाबी-लाल चकत्ते, तेज बुखार, खांसी, नाक बहना व आंखें लाल हो जाती है। जबकि रूबेला गर्भावस्था के दौरान होने वाला संक्रमण है। यह नवजात शिशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
 
 
संक्रमित माता से जन्मे शिशु को ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, बहरापन, मंद बुद्धि व दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। रूबेला से गर्भपात, समय पूर्व प्रसव व गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है। उन्होंने सभी सेविकाओं से अभियान की सफलता के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने की अपील की।
 
 
मौके पर चिकित्सा पदाधिकारी डा आरके उपाध्याय, डब्ल्यूएचओ के अनिल कुमार, केयर के शाहीन परवीन, अनिल कुमार, शैलेन्द्र कुमार, प्रदीप कुमार, विनय पांडेय, डबलू श्रीवास्तव, नागेंद्र शर्मा, प्रदीप कुमार, गणेश राम, राजेंद्र कुमार, प्रेम नारायण, अजय शंकर मिश्रा, प्रभुनन्दन ठाकुर, शशिरंजन पटेल, सहित सभी सरकारी स्कूलों प्रतिनिधि मौजूद थे।
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