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भक्तों ने माना: कुविचार व विष को कंठ से नीचे नहीं उतरने देना ही सच्ची भक्ति, शिव-चर्चा में हुई नीलकंठ सदृश बनने की अपील
By Deshwani | Publish Date: 25/11/2018 8:55:04 PM
भक्तों ने माना: कुविचार व विष को कंठ से नीचे नहीं उतरने देना ही सच्ची भक्ति, शिव-चर्चा में हुई नीलकंठ सदृश बनने की अपील

मोतिहारी। बबिता शंकर गिरि। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
 
आदापुर प्रखंड के नकरदेई थाना क्षेत्र के कटकेनवा के रामजानकी मंदिर मेa भगवान शिव के गुणों की विस्तृत चर्चा की गयी। चर्चा की शुरुआत भगवान शिव के तस्वीर के समक्ष दीपार्चन और पुष्पार्चन से हुई।
 
 
 
समुद्र मंथन के विष को पीकर स‍ृष्टि की रक्षा की-
चर्चा मे स्वामी विवेकानंद युवा मंच के संरक्षक शिव शंकर गिरि ने कहा कि भगवान शिव आज भी प्रासंगिक है। समुद्र-मंथन के समय कई अदभुत वस्तुएं निकली। जब हलाहल (विष) निकला, तो कौन उसको छूने की आकांक्षा रखता? यह विष सृष्टि का समूल नाश कर देगा, यह भय संपूर्ण जगत मे व्याप्त हो उठा। महादेव बिना एक क्षण गंवाए विष कुंभ को उठाकर पी गए। विष को अपने कंठ मे ही रोक लिया। वह उनके शरीर को दग्ध नहीं कर सका। क्योंकि वे कर्मयोगी है। वे जानते है कि कैसे, किसको और कहाँ रोक लेना है? सारी सृष्टि कृतज्ञ भाव से 'भगवान नीलकंठ की जय' का उद्घोष कर उठी।
 
 
 
कुविचार कंठ से नीचे नहीं-

महादेव का 'नीलकंठ' हो जाना समूची मानवता के लिए एक सीख है। हम विचार करे। हर दिन हम दूसरे लोगो के अपने प्रति कुविचारो का न जाने कितना विष अपने भीतर समा लेते है। किसी ने हमारे बारे में कुछ कहा नहीं कि बस वह हमारे कंठ को पार करता हुआ हमारे शरीर के पोर-पोर मे समा जाता है। मन जल उठता है। अत: हमें नीलकंठ सदृश्य बन कुविचारों को कंठ से नीचे नहीं उतरने देना चाहिए।
 
 
ऊंच-नीच का भेद-भाव नहीं-
 
 शिव-चर्चा में भगवान शिव की महिमा का भजन-कीर्तन के बाद समरसता भोज का आयोजन किया गया। भोज मे ऊंच-नीच का भेद किए बिना सभी वर्गों के लोगों ने अन्न-जल आदि एक ही पांति मे बैठ कर ग्रहण किया।
 
शिव-चर्चा में प्रकाश गिरि, मदन गिरि, वृजु गिरि, वृजकिशोर गिरि, राजकिशोर गिरि, विजय गिरि, छोटा गिरि, चंदन गिरि, ब्रजनंदन गिरि, कुंदन गिरि, रंजन गिरि, प्रसून गिरि, उपेंद्र गिरि, कुंदन गिरि, रामबाबू शर्मा ,हरेन्द्र पटेल, पथल महतो, योगेन्द्र राम, प्रभू राम,कबीर साह, जीतेंद्र महतो, विक्रमा पटेल, अमेरिका पासवान, शिवदानी पासवान, रामभरोसी ठाकुर,गोपाल राम, भैयाराम पटेल, आशा मुखिया, सुदामा दास, दुखनी देवी, उमरावती देवी, रिंकी कुमारी, प्रियंका कुमारी, लालपरी देवी, चंपा कुवर,चंदा देवी, भागमातो देवी व कौशिला देवी सहित सैकड़ो शिव शिष्य-शिष्याएं मौजूद थे।

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