जीवधारा में महायज्ञ के चौथे दिन कथावाचक गायत्री ने कहा- परोपकार से शत्रु भी मित्र बन जाता सच्चा मित्र
मोतिहारी। पीपराकोठी। माला सिन्हा।
परोपकार ऐसा कार्य है, जिससे शत्रु भी मित्र बन जाता है। यदि शत्रु पर विपत्ति के समय उपकार किया जाए तो वह भी सच्चा मित्र बन सकता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण अजरुन से कहते हैं कि शुभ कर्म करने वालों का न यहां और न ही परलोक में विनाश होता है। शुभ कर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है। उक्त बातें जीवधारा स्थित श्री रामजानकी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीशतचण्डी महायज्ञ के चौथे दिन अपने प्रवचन के दौरान यज्ञ के महात्म्य का वर्णन करते हुए कथा वाचिका गायत्री त्रिवेदी ने कही।
मानव कर्त्तव्य है कि वह दूसरों के काम आए-
उन्होंने कहा- सच्चा परोपकारी वही व्यक्ति है जो प्रतिफल की भावना न रखते हुए परोपकार करता है। असल में सूर्य, चंद्रमा, वायु, अग्नि, जल, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधे आदि सभी मानव कल्याण में लगे रहते हैं। ऐसे में हर मानव का भी कर्तव्य है कि वह दूसरों के काम आए।
माता दुर्गा हैं शक्ति की देवी-
मदन जायसवाल ने यज्ञ के महात्म्य के संबंध में कहा कि माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है. श्री दुर्गाजीका एक नाम ‘चंडी’ भी है. मार्कंडेय पुराणमें इसी देवीचंडीका माहात्म्य बताया है। सात सौ श्लोक एकत्रित कर देवी उपासनाके लिए `श्री दुर्गा सप्तशती’ नामक ग्रंथ बनाया गया है। सुख, लाभ, जय इत्यादि कामनाओं की पूर्ति के लिए सप्तशतीपाठ करने का महत्त्व बताया गया है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे चंडी यज्ञ बोला जाता है। शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहाँ तक कहा गया है कि शतचंडी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। यज्ञ की सफलता के लिए संरक्षक रामदेव गिरि, अध्यक्ष रामबाबू सिंह, सचिव भोलाशंकर जायसवाल, कोषाध्यक्ष मदन प्रसाद जायसवाल, दीपक पांडेय, श्यामकिशोर यादव, मुरारी कुमार, आलोक जायसवाल, राजेश प्रसाद कुशवाहा, सुरेन्द्र प्रसाद यादव, आसदेव प्रसाद, सुरेन्द्र गिरि, पप्पू जायसवाल, सुधीर पटेल, सन्देश्वर पांडेय व राजन कुमार सहित पूरी समिति भरपूर प्रयास में लगे हुये है।