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मोतिहारी
सचेत रहें, कहीं आयुर्वेद कॉलेज की तरह महात्मा गांधी केविवि मोतिहारी भी गुटबाजी का शिकार न हो जाए- अभिभावकगण
By Deshwani | Publish Date: 5/6/2018 3:14:09 PM
सचेत रहें, कहीं आयुर्वेद कॉलेज की तरह महात्मा गांधी केविवि मोतिहारी भी गुटबाजी का शिकार न हो जाए- अभिभावकगण

मोतिहारी के पत्रकार भवन में महात्मा गांधी केविवि के हालिया संकट पर विमर्श करते शहर के अभिभावक व बुद्धिजीवी। फोटो- देशवाणी।

मोतिहारी। विनय कुमार परिहार।

प्रबंधन व प्राध्यपकों की लड़ाई में कौन जीता? और कौन हारा? इससे हमें मतलब नहीं। हमें तो मतलब और चिंता भी। तो सिर्फ और सिर्फ जिले की इस अनमोल निधि को बचाने की। जो हमारे बच्चों के उज्ज्वल प्रारब्ध का शिल्पकार है। जो हमारे सपनों को साकार करने को एक वरदान की तरह मोतिहारी में महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में अवतरित हुआ है। जिस आकादमिक शिक्षा के लिए हमारे बच्चों को दूर देस जाना पड़ता था। वह शिक्षा का मंदिर आज हमारे डूर स्टेप पर है। न हाॅस्टल का एक्सपेंस। न ही ट्रांस्पोर्ट की फिजूल खर्ची। घर का खाना खाकर और उच्च शिक्षा ग्रहण करने की भरपूर आजादी।


 ये उद्गगार हैं शहर के बुद्धिजीवियों के, व्यवासायियों, आम व खास आवाम के भी। जिन्हें मोतिहारी का निवासी कहने पर फख्र की अनुभूति होती है। दूसरे शहर के लोगों को बताने में सीना चौड़ होता है कि हमारे शहर में केन्द्रीय विश्विद्यालय है। इसीलिए ये शहरवासी महात्मा गांधी केविवि को पल्लवित व पुष्पित होते रहना देखना चाहते हैं। न कि "हम जीते कि तुम जीते' की बेतूकी अहम की लड़ाई में इसका बेड़ा गर्क करना। हाल ही में इस विश्वविद्यालय ने दर्जनों छात्रों का कैंपस सलेक्शन कराकर अपनी काबिलियत का भान भी करा दिया है।


महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी में आजकल चल रहे आंदोलन व अन्य कारणों से बिगड़ रहे शैक्षणिक माहौल को लेकर शहर के बुद्धिजीवियाें की बैठक हुई में उपरोक्त बातें छनकर सामने आई। बीते रविवार को पत्रकार भवन में अपराह्न 1 बजे से चली इस मैराथन बैठक में इस गतिरोध से यूनिवर्सिटी को उबारने के लिए गहन चिंतन-मनन हुई। कई पहलुओं पर विचार-विमर्श हुए। जिले के बुद्धिजीवियों में यह चिंता घर करने लगी है कि शैशव काल में ही यह यूनिवर्सिटी किसी गलत राजनिति का शिकार बनकर नहीं रह जाए। इस बैठक में शहर व्यवसायी, कई कॉलेजों के प्राचार्य व प्राध्यापक, पत्रकार व यूनिवर्सिटी के छात्रों के अभिभावक मौजूद थे। बैठक पंडित उगम पाण्डेय कॉलेज के प्राचार्य डॉ कर्मात्मा पाण्डेय की अध्यक्षता में हुर्ह। मंच संचालन अभिभावक जर्नलिस्ट वेलफेयर सोसायटी के सचिव अरुण तिवारी कर रहे थे।


 सबका कहना यह था कि सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी जिले की अनमोेल निधि है। हमारे बच्चों के लिए वरदान है। इसे किसी भी कीमत पर राजनिति व गुटबाजी का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। इसके लिए जिले के गणमान्य लोगों व अभिभावकों की कमेटी बनाकर दोनों पक्षों को समझाने बुझाने का काम कर बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया जाएगा। इस पर भी सहमति नहीं बनी तो शहरवासी सड़कोें पर उतरेंगे।

बैठक में शामिल बुद्धिजीवियों की यह है चिंता का विषय-

बैठक में शामिल बुद्धिजीवियों ने यह चिंता जताई है कि पूर्वी चम्पारण के लोगों ने बड़ी मेहनत व मशक्कत के बाद यहां केन्द्रीय विश्वविद्याल लड़ाई व आंदोलन लड़ के हासिल किया है। इस आंदोलन में समाज के हर तबका के लोग शरीक रहे हैं। इन्होंने आशंका यह जताई कि पूर्व में जिले के कई शिक्षण संस्थान राजनिति व गुटबाजी के शिकार हो गए है।

वक्ताओं का कहना है-

इसके पूर्व में इस जिले का आयुर्वेद कॉलेज, एएन कॉलेज व यहां तक कि मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज इस गोलबंदी का दंश झेल चुका है। मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज के संस्थापक आर ठाकुर यहां की पार्टी पॉलिटिक्स से कॉलेज संचालन के अंतिम वर्षो में अपने आप को काफी कमजोर महसूस करने लगे थें। नतीजा यह हुआ कि कॉलेज कई सालों तक बंद रहा। हालांकि बाद में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयासों से यह काॅलेज पुन: सुचारू हो सका। लिहाजा आयुर्वेदिक कॉलेज अभी भी बंद है और एएन कॉलेज कभी चलता है कभी बंद हो जाता है।
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